हाईकोर्ट ने पूछा, केदारनाथ हेली सेवा के टैरिफ में भिन्नता क्यों
हार्इकोर्ट ने हेली सेवा के टेंडर भिन्न-भिन्न होने पर राज्य सरकार और निजी कंपनियों से चार हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने केदारनाथ के लिए हेलीकाप्टर सेवा में सरकार व निजी कंपनियों के टैरिफ में भिन्नता पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में देहरादून निवासी हेलीपैड संचालक राजीव धर की याचिका पर सुनवाई हुई। पूर्व में कोर्ट ने इन क्षेत्रों में हवाई सेवा देने वाली कंपनियों को पक्षकार बनाने के आदेश पारित किए थे। याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा हेली सेवा के लिए दोबारा टेंडर निकाला गया है। पूर्व में सरकार द्वारा नौ कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में फेरबदल किया गया है। यह भी शर्त रखी है कि वहीं कंपनी इसमें भाग ले सकती है, जिसका हेलीकॉप्टर उत्तराखंड में पिछले दो साल में दुर्घटनाग्रस्त ना हुआ हो।
सरकार द्वारा त्रियुगीनारायण हेलीपैड का टेंडर ही नहीं निकाला जबकि यहां से चारधाम नजदीक है और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। याचिकाकर्ता द्वारा हिमालयन एविएशन, पवन हंस व आरएन एविएशन को याचिका में पक्षकार बनाया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा यात्री किराये की लिस्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की। जिसमें प्रति यात्री किराया 9999 रुपये व जीएसटी तथा सरकारी रेट 7300 रुपये व जीएसटी था। एकलपीठ ने सरकार व निजी कंपनियों से पूछा है कि टैरिफ में भिन्नता क्यों है? कोर्ट ने निजी कंपनियों व सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं।
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