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केदारनाथ आपदा में करोड़ों का घपला करने वाले अधिकारियों पर दर्ज होगी एफआइआर

केदारनाथ आपदा में क्षतिग्रस्त बिजली और पानी की लाइनों की मरम्मत में हुए घोटाले को लेकर हार्इकोर्ट ने अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 04:44 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 05:27 PM (IST)
केदारनाथ आपदा में करोड़ों का घपला करने वाले अधिकारियों पर दर्ज होगी एफआइआर
केदारनाथ आपदा में करोड़ों का घपला करने वाले अधिकारियों पर दर्ज होगी एफआइआर

नैनीताल, [जेएनएन]: 2013 की भीषण प्राकृतिक आपदा में केदारनाथ में बिजली-पानी की क्षतिग्रस्त लाइनों की मरम्मत के नाम पर फर्जी बिलों के जरिये करोड़ों के घपले के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। खंडपीठ ने मुख्य सचिव को इस घोटाले में शामिल अफसरों पर एक  माह के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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अधिवक्ता सुशील वशिष्ठ ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2013 में केदारनाथ आपदा में बिजली-पानी की लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई थी। इन लाइनों को ठीक करने का ठेका 30 करोड़ में उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) को दे दिया गया। उरेडा द्वारा पुरानी लाइनों को पूरी तरह आपदा में बही हुई दिखाकर गोलमाल किया गया। रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में इस मामले में गोलमाल की पुष्टि हुई।

यह भी खुलासा हुआ कि सरकार व उरेडा अफसरों की मिलीभगत से पुरानी लाइनों को बहा हुआ मानते हुए नई लाइनों के बिल पास कर दिए गए। डीएम की इस रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हुई तो उसके बाद जनहित याचिका दायर की गई। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को मामले को सुनने के बाद मुख्य सचिव को इस घोटाले में शामिल अफसरों के खिलाफ एक माह के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पारित किए हैं।

याचिका में उरेडा चेयरमैन, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, अपर सचिव, निदेशक उरेडा, मुख्य परियोजना अधिकारी, उप मुख्य परियोजना अधिकारी व वरिष्ठ परियोजना अधिकारी उरेडा को पक्षकार बनाया गया है।

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