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हार्इकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

हार्इ कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करने को चुनौती देती याचिका पर की और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 10:01 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 09:00 AM (IST)
हार्इकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब
हार्इकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल, [जेएनएन]: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करने को चुनौती देती याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हल्द्वानी निवासी अधिवक्ता सनप्रीत सिंह अजमानी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 17 अगस्त को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट के मामले में जांच के बाद उचित कानूनी कार्रवाई करने के आदेश पारित किए थे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कानून के क्रियान्वयन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, मगर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से संसद में विधेयक पारित करवाया, जिसे राष्टï्रपति द्वारा मंजूरी प्रदान कर दी गई। याचिका में कहा गया है कि केंद्र का यह कदम संविधान के अनुच्छेद-14, 19 व 21 के तहत असंवैधानिक हैं। जिसकी पुनर्विचार याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लिहाजा केंद्र ने जो संशोधन किया, वह असंवैधानिक है। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। 

ये हैं संविधान प्रदत्त अधिकार

संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत नागरिकों को समानता का अधिकार, अनुच्छेद-19 में स्वतंत्रता का अधिकार व अनुच्छेद-21 व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार है। 

आंदोलन के बाद हुआ था बदलाव 

सुप्रीम कोर्ट के एक्ट को लेकर दिशा-निर्देश के बाद देश में दलित संगठनों समेत दलित सांसद नाराज हो गए। उन्होंने सरकार पर दबाव बनाया तो विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया। अंतत: सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद में विधेयक पेश करना पड़ा। अब नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा जवाब मांगने के बाद केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है। 

अधिवक्ता व याचिकाकर्ता सनप्रीत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद-14, 19 व 21 को देखते हुए एससी-एसटी एक्ट के क्रियान्वयन को लेकर दिशा निर्देश दिए थे और जिसके विरुद्ध केंद्र सरकार की पुनर्विचार अर्जी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इस याचिका के निस्तारण से पहले ही सरकार द्वारा एक्ट में बदलाव को उठाया गया कदम असंवैधानिक है।

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