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फार्मेसिस्ट की शैक्षिक योग्यता का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, 13 फरवरी को होगी सुनवाई

फार्मेसिस्ट के पद पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता डी-फार्मा करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। शीतकालीन विशेष पीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 12:24 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 12:24 PM (IST)
फार्मेसिस्ट की शैक्षिक योग्यता का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, 13 फरवरी को होगी सुनवाई
फार्मेसिस्ट की शैक्षिक योग्यता का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, 13 फरवरी को होगी सुनवाई

नैनीताल, जेएनएन : फार्मेसिस्ट के पद पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता डी-फार्मा करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट की शीतकालीन विशेष पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अगली सुनवाई की तिथि 13 फरवरी नियत की है। देहरादून निवासी विनोद कुमार व अन्य ने याचिका दायर कर सरकारी अस्पतालों में फार्मेसिस्ट के पदों पर नियुक्ति के लिए पिछले साल 15 अक्टूबर को जारी विज्ञापन को चुनौती दी है।

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याचिका में फार्मासिस्ट सेवा नियमावली के रूल्स आठ के प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि मेडिकल सलेक्शन बोर्ड द्वारा जारी विज्ञापन में डी फार्मा की शैक्षिक योग्यता मांगना गलत है। याचिका में कहा गया है कि रूल्स के हिसाब से शैक्षिक योग्यता बी फार्मा होनी चाहिए। सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-309 से प्रदत्त शक्ति के आधार पर सरकार द्वारा रूल्स बनाए गए हैं, जो सर्वथा विधि अनुकूल हैं। याची की शैक्षिक अर्हता के हिसाब से सरकार द्वारा रूल्स नहीं बनाए जाते, बल्कि सरकार द्वारा तय रूल्स के हिसाब याची को शैक्षिक अर्हता पूरी करनी होगी। मामले को सुनने के बाद विशेष पीठ ने सरकार को काउंटर दाखिल करने का समय प्रदान करते हुए अगली तिथि 13 फरवरी नियत कर दी।

सोनाग्राफी एमबीबीएस की क्षमता परीक्षा को लेकर सुनवाई 25 को : हाई कोर्ट ने प्राइवेट क्लीनिक संचालक एमबीबीएस चिकित्सकों की क्षमता परीक्षा के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार को 25 जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 20 जनवरी जबकि परीक्षा 30 जनवरी को होनी है।शुक्रवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ में फेडरेशन ऑफ क्लीनिकल सोनोलॉजिस्ट एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान डीजी हेल्थ की ओर से जवाब दाखिल कर कहा गया कि केंद्र सरकार की 2014 की नियमावली के अनुसार ही परीक्षा आयोजित की जा रही है। इधर, याचिका में चिकित्सकों का कहना है कि वह पिछले दो-तीन दशकों से प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं। एसोसिएशन का कहना है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1996 की धारा-34 का संशोधन 2014 में किया गया, लेकिन केंद्र द्वारा इस संशोधन को संसद में पारित नहीं किया गया है। इसलिए यह रूल्स उन पर लागू नहीं होते। राज्य सरकार सीबीईटी या क्षमता आधारित परीक्षा नहीं करा सकती। याचिका के माध्यम से क्षमता परीक्षा को लेकर 27 दिसंबर 2018 को जारी विज्ञप्ति को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विनोद तिवारी ने परीक्षा के बजाय प्रशिक्षण देने की दलील दी। एकलपीठ ने जवाब नहीं दाखिल होने के बाद मामले अगली तिथि 25 जनवरी नियत कर दी।

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