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हरिद्वार में भगदड़ में 20 लोगों की मौत मामले में हाईकोर्ट ने केस का रिकॉर्ड तलब किया

हाईकोर्ट ने आठ नवम्बर 2011 को शांतिकुंज हरिद्वार में हवन के दौरान मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत और 67 लोगों के घायल होने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने रिकार्ड तलब क‍िया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 04:12 PM (IST)
हरिद्वार में भगदड़ में 20 लोगों की मौत मामले में हाईकोर्ट ने केस का रिकॉर्ड तलब किया
हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2011 मची भगदड का पूरा ब्‍यौरा तलब क‍िया है। हाई कोर्ट की फाइल फोटो

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने आठ नवम्बर 2011 को शांतिकुंज हरिद्वार में हवन के दौरान मची भगदड़ में 20 लोगों की मौत और 67 लोगों के घायल होने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर सम्बन्धित केस की फाइल कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई पांच अक्टूबर नियत की है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सम्बन्धित केस का पूरा रिकॉर्ड गायब कराया गया है, ताकि मामला दोबारा ना खुल सके, इसलिए इस केस का पूरा रिकार्ड मंगाया जाए।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में अधिवक्ता विवेक शुक्ला की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि शांतिकुंज हरिद्वार के परमाध्यक्ष प्रणव पाण्डिया द्वारा अपने गुरु श्रीराम शर्मा की आठ नवम्बर 2011 को जन्म शताब्दी मनाई गई थी । जिसमें पांच राज्यों के मुख्यमंत्री सहित कई वीआईपी और करीब एक लाख लोग शामिल हुए थे । शांतिकुंज परिवार ने वीआईपी व आम जनता के लिए हवन करने हेतु अलग अलग व्यवस्था की थी। जहां पर सामान्य लोगो के लिए हवन करने की व्यवस्था की गई थी, वहां पर भगदड़ मचने से करीब 20 लोगों की मौत तथा 67 लोग घायल हो गए थे।

अभी तक किसी भी पीड़ित परिवार को इस घटना का मुआवजा नहीं दिया गया। इस मामले में पुलिस द्वारा अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। जब जांच समाप्त हुई तो सरकार ने मामला रफा दफा कर दिया और कहा कि लोकहित देखते हुए इस मामले को आगे नही बढ़ाना चाहती है।याचिका कर्ता ने कोर्ट से प्रार्थना कि है कि इस मामले की पुनः जांच की जाय ,क्योंकि इतने बड़े आयोजन में पुलिस की सहायता नहीं ली गयी, न ही पीड़ितों को मुआवजा ही दिया गया।


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