राज्य में स्लाटर हाउस का मामला : सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर हाई कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी
स्लाटर हाउस निर्माण मामले में सरकार की ओर से पेश हलफनामे से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं है। उधर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।
नैनीताल, जेएनएन : राज्य में स्लाटर हाउस निर्माण मामले में सरकार की ओर से पेश हलफनामे से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं है। उधर, हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार ने विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार से एसएलपी के बारे में स्टेटस रिपोर्ट पहली मार्च को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हलफनामे में कहा गया है कि स्लाटर हाउस बनाने के लिए संबंधित विभागों की कमेटियां गठित की जा चुकी हैं। जिन निकायों में स्लाटर हाउस हैं, उन्हें अपग्रेड करने को कहा गया है। इसके अलावा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि सरकार की एसएलपी डिफेक्टिव में है और इन डिफेक्टिव को रिमूव नहीं किया जा रहा है, ताकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहे। हाई कोर्ट ने सरकार से एसएलपी की स्टेटस रिपोर्ट शुक्रवार को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यहां बता दें कि पिछले साल हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में राज्य में सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया गया है। सरकार की इस कार्रवाई को रामनगर के मोहम्मद युनूस व नैनीताल के जाकिर हसन ने याचिका दायर कर चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की ओर से कोर्ट में बताया गया कि हाई कोर्ट की खंडपीठ ने नौ दिसंबर 2011 को आदेश पारित किया था, जिसमें प्रदेश में मानकों के अनुसार स्लाटर हाउस बनाने के निर्देश दिए गए थे, मगर सरकार ने आठ साल बाद भी मानक के हिसाब से स्लाटर हाउसों का निर्माण नहीं किया। ऐसे में इसके लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में हुई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले साल हाई कोर्ट ने आदेश पारित कर गलियों व खुले में बकरों की बलि को भी प्रतिबंधित कर दिया था। स्लाटर हाउसों के अभाव में पूरे प्रदेश में पशुओं की बलि पर रोक लग गई है।
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