शराब फैक्ट्रियों को सब्सिडी देने पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार से मांगा तीन सप्ताह में मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने देवप्रयाग भीमताल व सतपुली की शराब फैक्ट्रियों को सब्सिडी देने के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने देवप्रयाग, भीमताल व सतपुली की शराब फैक्ट्रियों को सब्सिडी देने के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, आबकारी विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत शराब कंपनियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मालदेवता देहरादून निवासी नंद किशोर की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा प्रदेश में शराब को बढ़ावा देेने के लिए शराब फैक्ट्रियों को मात्र पांच करोड़ निवेश करने पर करीब 50 करोड़ सब्सिडी दे रही है, जो आबकारी अधिनियम 2015 के विपरीत है। सरकार द्वारा शराब को बढ़ावा देने के लिए 2016 से 2019 तक आबकारी नीति में संशोधन करती रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार सब्सिडी के अलावा इन कंपनियों को अन्य लाभ भी दे रही है। जैसे एक पेटी शराब बनाने की कीमत 520 रुपये है, उसे दो से ढाई हजार मेें बेचा जा रहा है। यह लाभ भी कंपनियों के खाते में जाता है। याचिकाकर्ता ने पहाड़ में खोली जा रही चार शराब फैक्ट्रियों को चुनौती दी है। जिसमें कहा गया है कि शराब फैक्ट्रियों के लिए सरकार द्वारा दो सौ करोड़ सब्सिडी दी जा रही है। कंपनी सभी फायदे लेकर 520 रुपये में शराब की पेटी बाजार में उतार रही है और चार से नौ सौ तक बाजार में बिकने वाली शराब पर कंपनियों को ढाई हजार से 4200 रुपये तक प्रति पेटी सब्सिडी दी जा रही है। यदि सरकार दस लाख पेटी शराब का उत्पादन करती है तो कंपनियों को दो सौ करोड़ की सब्सिडी मिल रही है। यह भी कहा कि फैक्ट्री लगाने के लिए सरकार कैपिटल इन्वेस्टमेंट व्यापार में छूट के साथ ही स्टांप ड्यूटी, बिजली के साथ ही 75 फीसद आबकारी देयकों में छूट दे रही है।
फैक्ट्रियों के प्रदूषण मानकों को चुनौती देते हुए कहा है कि देहरादून की शराब फेक्ट्री प्रदूषण मानक पूरा नहीं कर रही हैं। उसे प्रत्येक माह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मानक प्रमाण पत्र लेना होता है, जो वह नहीं ले रही है। याचिका मेें शराब फैक्ट्रियों को दी जा रही सब्सिडी बंद करने की मांग की है, ताकि इस बजट का उपयोग राज्य के विकास में किया जा सके। खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, आबकारी विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत शराब कंपनियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।