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बिना अनुमति के खुले 55 स्टोन क्रेशरों के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब HIGHCOURT

हाई कोर्ट ने पिछले डेढ़ साल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना 55 स्टोन क्रेशर के लाइसेंस दिए जाने जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 10:09 AM (IST)
बिना अनुमति के खुले 55 स्टोन क्रेशरों के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब HIGHCOURT
बिना अनुमति के खुले 55 स्टोन क्रेशरों के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब HIGHCOURT
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना राज्य में 55 स्टोन क्रशर के लाइसेंस दिए जाने को बेहद गंभीर माना है। मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सोमवार तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने साफ किया कि यदि जवाब दाखिल नहीं किया गया तो मंगलवार को पीसीबी सदस्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा। 
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रामनगर निवासी आनंद सिंह व सर्वजीत सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने पिछले 12 से 15 माह में उत्तरकाशी, गंगोत्री, रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ समेत राज्य के अन्य हिस्सों में बिना राज्य प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के 55 स्टोन क्रशर के लाइसेंस दे दिए। यहीं नहीं सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए ध्वनि प्रदूषण के मानक भी खुद ही बदल डाले। पीसीबी के मानकों के अनुसार ध्वनि प्रदूषण के मानक इंडस्ट्रीयल एरिया में रात में 45 डेसीबल व दिन में 55 डेसीबल होने चाहिए मगर सरकार ने इन मानकों को बदलकर दिन में 70 व रात में 55 डेसीबल कर दिए। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सोमवार तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। 

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