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पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने को लाए गए अध्‍यादेश मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

पूर्व मुख्‍यमंत्रियों का बकाया माफ करने के अध्यादेश को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 06:11 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:23 PM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने को लाए गए अध्‍यादेश मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने को लाए गए अध्‍यादेश मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास समेत अन्य सुविधाओं में खर्च वसूली के आदेश के बाद राज्य सरकार के बकाया माफ करने के अध्यादेश को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 18 नवंबर नियत की है।

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शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून की रूलक संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए पूर्व सीएम को व्यक्तिगत लाभ व सेवाएं देने के लिए यह अध्यादेश पारित किया है, जो असंवैधानिक है। सरकार द्वारा हाई कोर्ट का आदेश ताक पर रखकर यह निर्णय लिया गया। कोर्ट ने पूर्व सीएम से अभी तक का किराया व अन्य सुविधाओं की वसूली के आदेश पारित किए थे।

राज्‍य संपत्ति विभाग ने भेजा है वसूली नोटिस

पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य संपत्ति विभाग ने वसूली का नोटिस भेजा है। विभाग ने भगत सिंह कोश्यारी (राज्‍यपाल महाराष्‍ट्र), डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक (हाल में एचआरडी मिनिस्टर) और विजय बहुगुणा को पानी और बिजली का बकाया चुकाने के लिए नोटिस भेजा है। कोश्यारी पर करीब 11 लाख, बहुगुणा पर 3.5 लाख, डॉ. निशंक पर चार लाख रुपये के करीब बिजली और पानी का बकाया है। हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों से उनके आवास का किराया बाजार की दर से वसूलने का आदेश दिया था। इस पर उत्तराखंड सरकार 31 मार्च 2019 तक इन सुविधाओं को निशुल्क करने का अध्यादेश लेकर आई। इस अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।


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