चारधाम मार्ग में अव्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट ने जिला पंचायत उत्तरकाशी व मंदिर समिति से मांगा जवाब
चारधाम यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। राज्य सरकार ने मामले में कोर्ट में जवाब दाखिल कर साफ किया है ।
By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 10:09 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : चारधाम यात्रा मार्ग पर अव्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। राज्य सरकार ने मामले में कोर्ट में जवाब दाखिल कर साफ किया है कि यात्रा मार्ग पर व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त किया जा रहा है। यात्रा रूट पर पुलिस की तैनाती भी की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब को रिकार्ड में लेते हुए जिला पंचायत उत्तरकाशी व बदरी-केदार मंदिर समिति को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस केआर श्रीराम ने कुछ समय पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा मार्ग पर सुविधाओं की कमी व अव्यवस्थाओं का ब्यौरा दिया था। पत्र में कहा था कि चारधाम यात्रा मार्ग पर आपदा का इंतजार हो रहा है। यमुनोत्री में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। मार्ग में कई किलोमीटर तक पुलिस तैनात नहीं थे, ऐसे में स्वास्थ्य व आपातकालीन सेवाओं की उम्मीद नहीं की जा सकती। यात्रा मार्ग में यात्रियों के आराम करने के लिए कुर्सी या बेंच जैसी सुविधाओं का अभाव है। टैक्सी, खच्चर, डांडी समेत रहन-सहन की दिक्कतें भी हैं तो हेलीसेवा के स्थान पर तीर्थयात्रियों के बैठने व खाने की दिक्क्तें हैं। पत्र में जस्टिस ने कहा था कि राज्य सरकार इन अव्यवस्थाओं को दूर कर सकती है, पर नहीं किया गया। इस पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान में लिया गया था। सोमवार को राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया, जबकि मंदिर समिति ने तीन सप्ताह का समय मांगा है। कोर्ट ने समय देने के साथ ही जिला पंचायत उत्तरकाशी को नोटिस जारी कर उन्हें भी जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस केआर श्रीराम ने कुछ समय पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा मार्ग पर सुविधाओं की कमी व अव्यवस्थाओं का ब्यौरा दिया था। पत्र में कहा था कि चारधाम यात्रा मार्ग पर आपदा का इंतजार हो रहा है। यमुनोत्री में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। मार्ग में कई किलोमीटर तक पुलिस तैनात नहीं थे, ऐसे में स्वास्थ्य व आपातकालीन सेवाओं की उम्मीद नहीं की जा सकती। यात्रा मार्ग में यात्रियों के आराम करने के लिए कुर्सी या बेंच जैसी सुविधाओं का अभाव है। टैक्सी, खच्चर, डांडी समेत रहन-सहन की दिक्कतें भी हैं तो हेलीसेवा के स्थान पर तीर्थयात्रियों के बैठने व खाने की दिक्क्तें हैं। पत्र में जस्टिस ने कहा था कि राज्य सरकार इन अव्यवस्थाओं को दूर कर सकती है, पर नहीं किया गया। इस पत्र का जनहित याचिका के रूप में संज्ञान में लिया गया था। सोमवार को राज्य सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया, जबकि मंदिर समिति ने तीन सप्ताह का समय मांगा है। कोर्ट ने समय देने के साथ ही जिला पंचायत उत्तरकाशी को नोटिस जारी कर उन्हें भी जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
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