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हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य बीमा योजना पर मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब

उत्तराखंड में सेवानिवृत्त हर सरकारी अफसर या क्लर्क से भी उसी की पेंशन से कटौती कर उसके स्वास्थ्य लाभ में उपयोग में लायी जाती है। इस अनिवार्य कटौती के दौरान यह पूछा भी नही जाता है कि क्या उसने अपनी कोई स्वास्थ्य बीमा पहले से करवा रखा है या नही।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 05:03 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 05:03 PM (IST)
हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य बीमा योजना पर मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से मांगा जवाब
मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य सचिव से प्रकारण पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : उच्च न्यायालय ने रिटायर कर्मचारियों की पेंशन से कटौती कर उन्ही के स्वास्थ्य सेवा में इस्तेमाल किये जाने की योजना को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने प्रकरण पर सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी। चिंन्हित की है।

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देहरादून के सामाजिक गणपत सिंह बिष्ट ने याचिका दायर कर बताया कि 31 दिसंबर 2020 को जारी शासनादेश अनुसार उत्तराखंड में सेवानिवृत्त हर सरकारी अफसर या क्लर्क से भी उसी की पेंशन से कटौती कर उसके स्वास्थ्य लाभ में उपयोग में लायी जाती है। इस अनिवार्य कटौती के दौरान उससे यह पूछा भी नही जाता है, कि क्या उसने अपनी कोई स्वास्थ्य बीमा पहले से करवा रखा है या नही। भारत सरकार की वृद्ध लोगो के लिए की गई व्यवस्था के विपरीत, उत्तराखंड राज्य में जो व्यवस्था की गई है, उसमें नही वो सुविधाएं है, बल्कि नौकरशाही को और बढ़ावा दिया गया है। कैशलेस करने के बजाय लंबी प्रक्रिया निर्धारित की गई है जो वृद्ध लोगो के लिए मुसीबत का सबब बानी हुई है। मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य सचिव से प्रकारण पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

नदी भूमि पर अवैध कब्जों पर जवाब दे नगर निगम व ज़िला प्रशासन

हाईकोर्ट ने सामाजिककार्यकर्ता अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिककर्ता को नगर निगम देहरादून और सचिव राजस्व को पक्षकार बनाने की अनुमति प्रदान की है।

जनहित याचिका में कहा गया है कि देहरादून में डांडा लख़ौंड क्षेत्र में, पामवाला की राउ नदी भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया जा रहा है। इस मामले में 10 मार्च 2021 को अदालत ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को अवैध अतिक्रमण चिह्नित करने के लिए कहा था। चिन्हीकरण के बाद एमडीडीए द्वारा नोटिस भी दिए गए हैं। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने कोर्ट को अवगत कराया की कार्रवाई का अधिकार ज़िला प्रशाशन में है। अगली सुनवाई 30 जून को नियत की है।

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