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छात्रवृति घोटाला मामले में हाई कोर्ट ने सरकार व एसआइटी से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी

हाई कोर्ट ने करीब पांच सौ करोड़ के समाज कल्याण छात्रवृति घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व एसआइटी को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 09:25 AM (IST)
छात्रवृति घोटाला मामले में हाई कोर्ट ने सरकार व एसआइटी से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी
छात्रवृति घोटाला मामले में हाई कोर्ट ने सरकार व एसआइटी से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने करीब पांच सौ करोड़ के समाज कल्याण छात्रवृति घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व एसआइटी को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने जौनसार क्षेत्र के उच्च पदों पर आसीन लोगों द्वारा विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर प्रमाण पत्रों में हेराफेरी कर पाल्यों को छात्रवृति का लाभ दिलाने के मामले में भी सरकार व एसआइटी को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद घोटाले की जांच का दायरा बढऩा तय है।

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देहरादून के राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान की जनहित याचिका विचाराधीन है। याचिका में कहा गया है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा 2003 से अब तक एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृति नहीं दी गई। इससे साफ है कि विभाग द्वारा करोड़ों का घोटाला किया गया है। 2017 में मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के लिए एसआइटी बनाकर तीन माह में जांच पूरी करने को कहा था मगर इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में इस घपले की सीबीआइ जांच की मांग की गई है।

 मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व एसआइटी को जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की तिथि नियत की गई है। उधर देहरादून निवासी सुभाष नौटियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि विकास नगर तहसील के जौनसार में रहने वाले पिछड़ी जाति के तमाम लोग विभिन्न सरकारी महकमों तथा राष्टï्रीयकृत बैंकों में उच्च पदों पर आसीन हैं। कहा कि इनके द्वारा विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर पाल्यों के प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की गई और छात्रवृति ले ली गई। याचिकाकर्ता के अनुसार इसकी शिकायत एसआइटी प्रमुख से की गई मगर उनके उच्च पदों पर होने की वजह से जांच नहीं की जा रही है। कोर्ट ने इस मामले में भी सरकार व एसआइटी को जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई चार नवंबर नियत की है।


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