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हाई कोर्ट ने गंगा के किनारे से 5 किमी दायरे में खनन पर लगी रोक हटाई

हाई कोर्ट ने गंगा नदी के किनारे से 5 किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य व स्टोन क्रेशरों पर लगी रोक हटा दी। साथ ही सरकार को खनन पॉलिसी के अनुसार ही खनन कार्य करने के निर्देश दिए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 14 Sep 2017 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 14 Sep 2017 08:37 PM (IST)
हाई कोर्ट ने गंगा के किनारे से 5 किमी दायरे में खनन पर लगी रोक हटाई
हाई कोर्ट ने गंगा के किनारे से 5 किमी दायरे में खनन पर लगी रोक हटाई

नैनीताल, [जेएनएन]: नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्टोन क्रशर मालिकों को राहत देते हुए गंगा नदी के पांच किमी दायरे में खनन पर लगाई रोक हटा दी है। साथ ही सरकार की नीति के अनुसार खनन को हरी झंडी दे दी है। 

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हरिद्वार निवासी पवन कुमार सैनी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिछले साल छह दिसंबर को रायवाला से भोगपुर तक गंगा नदी किनारे स्थापित स्टोन क्रशर बंद करने के साथ ही खनन कार्य पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। इस आदेश का अनुपालन न होने पर इसी साल तीन मई को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश का अनुपालन करने के लिए पत्र भेजा, मगर मुख्य सचिव द्वारा भी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। 

इसके बाद मातृसदन हरिद्वार के स्तर से अवमानना याचिका दायर की गई। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव से 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की थी। अगले ही दिन सरकार ने रायवाला से जगजीतपुर तक के सभी स्टोन क्रशर व खनन बंद करने की रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल कर दी थी। 

इस बीच, राज्य सरकार व स्टोन क्रशर मालिकों की ओर से हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने दलील दी कि पिछले साल छह दिसंबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से मातृसदन के प्रत्यावेदन व तत्कालीन डीएम के पत्र को आधार बनाते हुए गंगा के पांच किमी दायरे में खनन बंद करने का जो आदेश पारित किया गया, उससे पहले सरकार का पक्ष सुना ही नहीं गया।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने गुरुवार को इस पर सुनवाई करते हुए खनन पर लगी रोक हटा दी, साथ ही इस मामले में सरकार को तीन सप्ताह के भीतर प्रति शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेशों में यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश अवैध खनन करने व अवैध तरीके से स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति का आधार नहीं बनाया जा सकता।

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