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मारपीट से तंग विधवा को हाई कोर्ट ने दिलाई सुरक्षा

जासं, नैनीताल : बेटे-बहू के उत्पीड़न व मारपीट से परेशान विधवा महिला ने याचिका दायर कर

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 01:07 AM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 01:07 AM (IST)
मारपीट से तंग विधवा को हाई कोर्ट ने दिलाई सुरक्षा
मारपीट से तंग विधवा को हाई कोर्ट ने दिलाई सुरक्षा

जासं, नैनीताल : बेटे-बहू के उत्पीड़न व मारपीट से परेशान विधवा महिला ने याचिका दायर कर सुरक्षा की गुहार लगाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने एसएसपी को निर्देश दिए हैं कि वृद्धा को सुरक्षा प्रदान की जाए। स्टाफ हाउस निवासी 66 वर्षीय मुन्नी देवी पत्नी महेश चंद्र ने याचिका दायर कर कहा था कि उसके बेटे कमलेश व बहू हेमलता द्वारा उसे परेशान किया जा रहा है। मारपीट भी की जाती है। शुक्रवार को हाई कोर्ट का आदेश कोतवाली मल्लीताल पहुंचा। एसएसआइ बीसी मासीवाल ने आदेश के अवलोकन के बाद एसआइ आशा बिष्ट व भावना बिष्ट को स्टाफ हाउस भेजा। पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि पारिवारिक संपत्ति को लेकर बेटे व मां के बीच अर्से से विवाद चल रहा है। बेटा बेरीनाग में पब्लिक स्कूल में टीचर था, हाल ही में वह छोड़कर आ गया है। विधवा का दस से अधिक कमरों का मकान है। किराया इत्यादि को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। संविदा डॉक्टर को बाल्य देखभाल अवकाश नहीं देने का मामला हाई कोर्ट पहुंचा

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जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने चमोली जिले में तैनात संविदा महिला चिकित्सक को बाल्य देखभाल अवकाश नहीं देने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जिला अस्पताल गोपेश्वर चमोली में कार्यरत डॉ. सुधा सिंह ने जनहित याचिका दायर की है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा 30 मई 2011 को शासनादेश जारी कर महिला सरकारी सेवाओं को विशेष परिस्थितियों अथवा संतान की बीमारी, देखभाल, परीक्षा में 18 वर्ष से कम होने पर बाल देखभाल अवकाश देय किया है। संपूर्ण सेवाकाल में यह अवकाश दो साल का दिया जाता है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस साल अगस्त में उनके द्वारा बाल्य अवकाश देखभाल के लिए विभाग में आवेदन किया, लेकिन संविदा सेवक होने के नाते अवकाश मंजूर नहीं किया गया, जबकि 15 दिसंबर 2016 को हाई कोर्ट ने दीपा शर्मा बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में इस अवकाश का लाभ संविदा कर्मचारियों को देने का आदेश भी पारित किया था। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।


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