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हाईकोर्ट ने राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में सरकार को थमाया नोटिस

उत्‍तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई भी चार सप्ताह बाद होगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 08:12 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 08:12 AM (IST)
हाईकोर्ट ने राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में सरकार को थमाया नोटिस
हाईकोर्ट ने राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में सरकार को थमाया नोटिस

जागरण संवाददाता, नैनीताल : उच्च न्यायालय ने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई भी चार सप्ताह बाद होगी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की जनहित पर सुनवाई हुई।

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याचिका में कहा गया है कि सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अधिनियम बनाया, जिसके सख्त प्रावधान थे, लेकिन 2014 में सरकार ने इस एक्ट में संशोधन कर दिया और यह शर्त रख दी कि जिस दिन लोकायुक्त की नियुक्ति होगी, उसी दिन से एक्ट प्रभावी होगा। आठ साल बीतने के बाद भी सरकार ने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने से बचाने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए उनके पास उच्च न्यायालय के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है, अगर सरकार राच्य में लोकायुक्त की नियुक्त कर देती तो उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ मामलों में लडऩे में मदद मिल सकेगी।

याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी के अनुसार 2012 में खंडूरी सरकार के कार्यकाल में सशक्त लोकायुक्त बिल राज्य विधानसभा में पारित हुआ था लेकिन 2014 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लोकायुक्त विधेयक को निरस्त कर नया लोकायुक्त बिल लाया गया, जिसे कभी लागू ही नहीं किया गया। त्रिवेंद्र सरकार ने लोकायुक्त बिल को संशोधन के लिए प्रवर समिति को सौंप दिया। 2017 में प्रवर समिति के पास भेजा गया बिल ठंडे बस्ते में पड़ा है।

भगवानपुर मंडी समिति के अध्‍यक्ष को हटाने के आदेश पर रोक

उच्च न्यायालय ने मंडी समिति भगवानपुर हरिद्वार के अध्यक्ष मनोज कपिल को हटाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही सरकार व मंडी परिषद को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हरिद्वार जिले के भगवानपुर के मंडी सभापति मनोज कपिल की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार, हाल ही में सरकार ने उन्हें नए अधिनियम के आधार पर पदच्युत कर दिया, जबकि नए अधिनियम की धारा 138 में साफ कहा गया है कि नए चुनाव होने तक या कार्यकाल पूरे होने तक पद पर बने रहेंगे। साथ ही कार्यकाल दो साल का होगा। याचिकाकर्ता जनवरी 2020 में सभापति बने थे, अभी उनका कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है, लिहाजा सरकार के आदेश पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। मुख्य स्थाई अधिवक्ता सीएस रावत के अनुसार भगवानपुर के मंडी सभापति ने इन पर्सन याचिका दायर की है। लिहाजा यह आदेश उनके मामले में प्रभावी रहेगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 16 सितंबर को नए मंडी एक्ट के आधार पर राज्य के मंडी समिति सभापति, उपसभापति को हटा दिया था।


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