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हटाए गए अतिक्रमणकारियों को किया जाए विस्थापित: हार्इकोर्ट

हार्इकोर्ट ने अतिक्रमण के एक मामले पर सुनवार्इ करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में फैसला ले।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sat, 07 Oct 2017 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 07 Oct 2017 10:52 PM (IST)
हटाए गए अतिक्रमणकारियों को किया जाए विस्थापित: हार्इकोर्ट
हटाए गए अतिक्रमणकारियों को किया जाए विस्थापित: हार्इकोर्ट

नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवार्इ करते हुए नगर निगम हरिद्वार द्वारा पारित उस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है, जिसमें नगर निगम ने रेलवे स्टेशन से लेकर हरिद्वार कोतवाली तक हटाए गए अतिक्रमणकारियों को दोबारा वहीं बसाने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके साथ ही कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में फैसला लेने के राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं। 

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दरअसल, साल 1990 में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे स्टेशन से लेकर कोतवाली हरिद्वार तक सड़क के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। मामले के अनुसार हरिद्वार नगर निगम के पार्षद उपेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि साल 2016 में नगर निगम द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर रेलवे स्टेशन से लेकर हरिद्वार कोतवाली तक हटाए गए अतिक्रमणकारियों को दोबारा वहीं बसाने का प्रस्ताव पारित किया गया था और इस प्रस्ताव में कहा गया कि जब तक निगम को इनको विस्थापित करने की जगह नहीं मिलती तब तक इनको सड़क किनारे ही रहने दिया जाए। इस बात का पार्षद द्वारा विरोध किया गया। 

पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1990 में इन अतिक्रमणकारियों को हटाने के आदेश के साथ कहीं अन्य जगह विस्थापित करने के आदेश नगर निगम और राज्य सरकार को दिए गए थे। लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। साल 2010 में हरिद्वार में कुंभ मेला होने के कारण सरकार द्वारा इनको हटा दिया गया। वहीं रेलवे विभाग द्वारा भी रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किए जाने की पुष्टि की गई है। उन्होंने भी इसका विरोध किया है। पार्षद द्वारा निगम के इस प्रस्ताव के विरुद्ध जनहित याचिका दायर की गयी है। वहीं सुनवार्इ करते हुए मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ और न्यायधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार और नगर निगम को आदेश दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का पालन कर फैसला लें और अतिक्रमण कारियों को कहीं अन्य जगह विस्थापित करें। तब तक निगम द्वारा पारित प्रस्ताव में कोई कार्रवार्इ ना की जाए।  

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