हार्इ कोर्ट से केंद्र सरकार को झटका, लगाया इतने का जुर्माना
हार्इ कोर्ट ने आइएफएस व वन संरक्षक (अनुसंधान) हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी की वार्षिक गोपनीय आख्या मामले को लेकर केंद्र सरकार पर पच्चीस हजार का जुर्माना लगाया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाईकोर्ट में चर्चित आइएफएस व वन संरक्षक (अनुसंधान) हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी की वार्षिक गोपनीय आख्या (एसीआर) में जीरो अंकित करने के मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण (कैट) की नैनीताल बैंच में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने के चेयरमैन के आदेश को निरस्त करने के साथ ही न्यायिक अनुशासन का घोर उल्लंघन करार दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि चेयरमैन को केस ट्रांसफर का अधिकार है मगर सुनवाई पर रोक लगाने का नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार पर 25 हजार जुर्माना लगाते हुए कैट की नैनीताल बैंच को तीन माह में इस मामले का निस्तारण करने के आदेश पारित किए हैं।
दरअसल 2015-16 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद पर रहने के दौरान केंद्र सरकार द्वारा आइएफएस संजीव चतुर्वेदी की एसीआर में जीरो कर दिया गया। जबकि उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जून 2017 में चतुर्वेदी ने इस मामले को याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी तो हाई कोर्ट ने कैट की नैनीताल बैंच में मामला रेफर कर दिया। सितंबर 2017 में नैनीताल बैंच ने केंद्र सरकार के आदेश पर स्थगनादेश देते हुए कहा कि अंतिम आदेश तक केंद्र की कार्रवाई याचिकाकर्ता के प्रमोशन में बाधित नहीं होगी। जुलाई में ट्रिब्यूनल की बैंच ने चतुर्वेदी के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित करते हुए केंद्र सरकार के एसीआर में शून्य अंकित करने पर रोक लगाते हुए कहा कि इसे सेवा रिकार्ड का हिस्सा ना माना जाए।
इधर, दिसंबर 2017 में केंद्र की ओर से कैट चेयरमैन दिल्ली के समक्ष याचिका दायर कर संजीव का केस नैनीताल से ट्रांसफर करने की अर्जी दाखिल की गई। जबकि 18 जुलाई 2017 को कैट बैंच में मामले में लिखित जवाब दाखिल हो चुका था और अंतिम बहस शुरू करने के लिए बैंच ने 27 अगस्त की तिथि नियत की थी। इसी बीच चतुर्वेदी फिनलैंड में एक प्रशिक्षण कार्यशाला में हिस्सा लेने गए तो इसी साल 27 जुलाई को कैट चेयरमैन ने केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कैट की नैनीताल बैंच में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी। 13 अगस्त को संजीव ने कैट चेयरमैन के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि कैट चेयरमैन द्वारा जो स्टे दिया गया, वह तथ्यात्मक रूप से गलत है। खंडपीठ ने कैट चेयरमैन का आदेश निरस्त करते हुए कैट की नैनीताल बैंच को मामले में सुनवाई जारी रखते हुए तीन माह में इसका निस्तारण करने के निर्देश दिए। संजीव ने इस मामले में खुद पैरवी की।
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