हाई कोर्ट का निर्देश रुड़की नगर निगम में पुराने परिसीमन के आधार पर कराएं चुनाव NAINITAL NEWS
हाई कोर्ट ने रुड़की नगर निगम व नगर पंचायत सेलाकुई में दो माह के भीतर चुनाव कराने के आदेश दिए हैं । कोर्ट ने साफ किया है कि चुनाव पुराने परिसीमन के आधार पर कराने होंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 09:41 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हरिद्वार जिले के रुड़की नगर निगम व देहरादून जिले की नगर पंचायत सैलाकुई में निकाय के परिसीमन मामले में हाई कोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने रुड़की में दो माह के भीतर पुराने परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने के आदेश पारित किए हैं। साथ ही पिछले साल छह दिसंबर को रुड़की नगर निगम से पाडली व रामपुर गुर्जर को बाहर करने व तीन अन्य गांवों को शामिल करने से संबंधित शासनादेश निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने सेंट्रल होप टाउन ग्राम पंचायत को सैलाकुई नगर पंचायत बनाने संबंधी 28 दिसंबर 2018 को जारी अधिसूचना को भी निरस्त कर दिया है।
रुड़की के पूर्व मेयर यशपाल राणा व चार अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार द्वारा 2015 में पाडली व रामपुर गुर्जर को नगर निगम में शामिल किया था। छह दिसंबर 2018 को सरकार द्वार नियम विरुद्ध तरीके से दोनों गांवों को नगर निगम से बाहर कर दिया। इनके स्थान पर तीन अन्य गांवों को नगर निगम में शामिल कर दिया गया, जो नियम विरुद्ध है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यदि किसी एक गांव को नगर निगम में शामिल कर लिया जाता है तो फिर उसे बाहर करने का प्रावधान नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि दोनों गांवों को निगम से बाहर करने की वजह से भी लोगों को नहीं बताई गई। जिसकी वजह से अब तक नगर निगम का चुनाव लटका हुआ है। पिछले दिनों कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। खंडपीठ ने सरकार की ओर से पाडली व रामपुर गुर्जर गांव को नगर निगम से बाहर करने व तीन अन्य गांवों को शामिल करने से संबंधित पिछले साल छह दिसंबर के शासनादेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही 2015 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने के आदेश पारित किया है।
रुड़की के पूर्व मेयर यशपाल राणा व चार अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार द्वारा 2015 में पाडली व रामपुर गुर्जर को नगर निगम में शामिल किया था। छह दिसंबर 2018 को सरकार द्वार नियम विरुद्ध तरीके से दोनों गांवों को नगर निगम से बाहर कर दिया। इनके स्थान पर तीन अन्य गांवों को नगर निगम में शामिल कर दिया गया, जो नियम विरुद्ध है। याचिकाकर्ता का कहना था कि यदि किसी एक गांव को नगर निगम में शामिल कर लिया जाता है तो फिर उसे बाहर करने का प्रावधान नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि दोनों गांवों को निगम से बाहर करने की वजह से भी लोगों को नहीं बताई गई। जिसकी वजह से अब तक नगर निगम का चुनाव लटका हुआ है। पिछले दिनों कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। खंडपीठ ने सरकार की ओर से पाडली व रामपुर गुर्जर गांव को नगर निगम से बाहर करने व तीन अन्य गांवों को शामिल करने से संबंधित पिछले साल छह दिसंबर के शासनादेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही 2015 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने के आदेश पारित किया है।
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