भीमताल के जीलिंग एस्टेट में सभी तरह के निर्माण पर रोक, गूगल की तस्वीरों से हुए खुलासे के बाद उठाया गया कदम
Bhimtal Jeeling Estate गूगल की इन तस्वीरों में विशेष रूप से 36 हेक्टेयर वाले एस्टेट के 8.5 हेक्टेयर क्षेत्र में हरित आवरण की कमी दर्शाया गया है। हाई कोर्ट ने मौके पर निरीक्षण करने और सीमांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : Bhimtal Jeeling Estate : भीमताल के जीलिंग एस्टेट में सभी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी गई है। गूगल की तस्वीरों ने यहां से हरियाली गायब होने की पोल खोली, जिसके बाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 15 दिसंबर तक भीमताल ब्लाक के जीलिंग एस्टेट में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
8.5 हेक्टेयर क्षेत्र में कम हुई हरियाली
हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने गूगल की तस्वीरों को देखने के बाद ये निर्देश जारी किए हैं। इन तस्वीरों में विशेष रूप से 36 हेक्टेयर वाले एस्टेट के 8.5 हेक्टेयर क्षेत्र में हरित आवरण की कमी को दर्शाया गया है। कोर्ट ने मौके पर भौतिक निरीक्षण करने और सीमांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी विक्रम सिंह सजवाण को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है।
एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट में भी हो चुकी है शिकायत
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में वीरेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि 1980 के दशक में उन्होंने ही मध्य प्रदेश निवासी व्यक्ति को जीलिंग एस्टेट की संपत्ति बेच दी थी। अब उस व्यक्ति के द्वारा आसपास के इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां भी की जा रही है। याचिकाकर्ता ने पहले एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट से भी इसकी शिकायत की थी।
याचिका में की गई है ये मांग
सुनवाई के दौरान यह भी बताया कि एस्टेट में सक्षम अधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए बिना निर्माण कार्यों के लिए बुलडोजर का उपयोग किया गया। खंडपीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया याचिका के साथ उपलब्ध गूगल तस्वीरों को देखने से यह प्रतीत होता है कि एस्टेट ने डीम्ड वन में विकास गतिविधियों को अंजाम दिया है। इसमें 40 प्रतिशत से अधिक घने पेड़ हैं। पूरे जीलिंग एस्टेट का नए सिरे से निरीक्षण हो, ताकि मामले में आगे बढ़ने के लिए अदालत के पास एक रिपोर्ट उपलब्ध हो।
एसईआइएए को जांच करने के निर्देश
कोर्ट ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआइएए) को निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया मूल्यांकन के लिए वह निश्चित रूप से इन तस्वीरों को आधार बना सकते हैं। इन तस्वीरों से पता चलता है कि घने वृक्षों से आच्छादित क्षेत्र में भी निर्माण गतिविधियां की गई हैं। अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता प्रदीप जोशी ने कोर्ट को बताया कि अगर वन क्षेत्र में कोई अनधिकृत गतिविधि की जाती है, तो याचिकाकर्ता सक्षम प्राधिकारी से भी इसकी शिकायत कर सकता है। कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 दिसंबर तक जीलिंग एस्टेट में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी।