इस सरकारी अफसर के नाम है बॉडीबिल्डिंग में 'मिस्टर उत्तराखंड' का खिताब
आमतौर पर सरकारी विभागों के अफसर-कर्मचारी ड्यूटी तक ही सीमित रहते हैं लेकिन हल्द्वानी निवासी एक अफसर की कुछ अनोखी कहानी है। परेशानियों व मुफलिसी से भरी जिंदगी का डटकर मुकाबला करने के बाद न केवल मुकाम बनाया बल्कि उदाहरण भी पेश किया।
हल्द्वानी, भानु जोशी : आमतौर पर सरकारी विभागों के अफसर-कर्मचारी ड्यूटी तक ही सीमित रहते हैं लेकिन हल्द्वानी निवासी एक अफसर की कुछ अनोखी कहानी है। परेशानियों व मुफलिसी से भरी जिंदगी का डटकर मुकाबला करने के बाद न केवल मुकाम बनाया बल्कि उदाहरण भी पेश किया। उत्तराखंड रेशम विभाग में अफसर हेम चंद्र बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में मिस्टर उत्तराखंड का खिताब भी जीत चुके हैं। गरीबी की तंग गलियों से निकलकर मोटिवेशन आइकन ऑफ इंडिया का सफर तय किया। अब वे एक यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को भी मोटिवेट कर रहे हैं। खेल व पढ़ाई के क्षेत्र में भी उन्होंने कई नए कीर्तिमान रच डाले।
हल्द्वानी के पनियाली निवासी हेम चंद्र का जीवन विषम व कठिन परिस्थितियों के बीच बीता। पढ़ाई-लिखाई के अलावा डांस और बॉडीबिल्डिंग में भी उनकी दिलचस्पी थी। बड़े होते-होते उनकी ये दिलचस्पी शौक में बदल गई। मिस्टर पंतनगर, मिस्टर उत्तराखंड का खिताब जीतने के बाद वर्ष 2018 में उन्हेंं मोटिवेशनल आइकन ऑफ इंडिया चुना गया। इस बीच कई विभागों में उन्होंने सरकारी नौकरी भी की लेकिन, आगे बढने की ललक उनके अंदर की जिज्ञासा को ओर बढ़ाती गई। वर्तमान में वे रेशम विभाग में उप निदेशक के पद पर हल्द्वानी में तैनात हैं।
ये उपलब्धियां हैं हेम के नाम
- बॉडीबिल्डिंग में मिस्टर उत्तराखंड, मिस्टर कुमाऊं, मिस्टर नैनीताल, मिस्टर हल्द्वानी, मिस्टर पंतनगर विश्वविद्यालय का खिताब
- पावर लिफ्टिंग एवं वेट लिफ्टिंग में तीन साल तक विवि चैंपियन
- विश्वविद्यालय की बॉडीबिल्डिंग, पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग, इंडोर टीम के कप्तान रहे
यहां की नौकरी
- केंद्रीय पुलिस में सब-इंस्पेक्टर
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में प्रक्षेत्र प्रबंधक
- टीडीसी उत्तराखंड में बीज उत्पादन अधिकारी
डेढ़ साल की उम्र में उठा पिता का साया
गरीबी और अभाव के कारण अक्सर युवा सोचते हैं कि वे जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। उनके लिए हेम ने मिशाल पेश की है। उन्होंने बताया कि जब वे महज डेढ़ साल के थे उनके पिता खीम राम आर्य की मृत्यु हो गई थी। निरक्षर मां ने मृतक आश्रित पद पर नौकरी करते हुए कठिन संघर्षो के बीच तीन बच्चों की परवरिश की।