Move to Jagran APP

गरीबी में पले बढे हेम चन्‍द्र ने शौक को बनाया हुनर, अब चुने गए मोटिवेशनल आइकन ऑफ इंडिया

तमाम परेशानियों व मुफलिसी से भरी जिंदगी के बावजूद कैसे ऊंचाइयों तक पहुंचा जाता है इसकी बानगी अक्सर पर्दे पर ही देखने को मिलती है। इस मामाले में हेम चंद्र से सीख ली जा सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:22 AM (IST)
गरीबी में पले बढे हेम चन्‍द्र ने शौक को बनाया हुनर, अब चुने गए मोटिवेशनल आइकन ऑफ इंडिया
गरीबी में पले बढे हेम चन्‍द्र ने शौक को बनाया हुनर, अब चुने गए मोटिवेशनल आइकन ऑफ इंडिया

हल्द्वानी, भानु जोशी : तमाम परेशानियों व मुफलिसी से भरी जिंदगी के बावजूद कैसे ऊंचाइयों तक पहुंचा जाता है, इसकी बानगी अक्सर पर्दे पर ही देखने को मिलती है। असल जिंदगी में गिने-चुने नाम ही ऐसे होते हैं जो इसे हकीकत कर दिखाते हैं। इन्हीं में एक नाम हेम चंद्र का भी है। उन्होंने गरीबी की तंग गलियों से निकलकर 'मोटिवेशन आइकन ऑफ इंडिया' का सफर तय किया। अब वह यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को भी मोटिवेट कर रहे हैं। खेल व पढ़ाई के क्षेत्र में भी उन्होंने कई नए कीर्तिमान बनाए हैं।

loksabha election banner

हल्द्वानी के पनियाली निवासी हेम चंद्र का जीवन विषम व कठिन परिस्थितियों के बीच बीता। पढ़ाई-लिखाई के अलावा डांस और बॉडी बिल्डिंग में भी उनकी दिलचस्पी थी। बड़े होते-होते उनकी ये दिलचस्पी शौक में बदल गई। मिस्टर पंतनगर, मिस्टर उत्तराखंड का खिताब जीतने के बाद वर्ष 2018 में उन्हें 'मोटिवेशनल आइकन ऑफ इंडिया' चुना गया। इस बीच कई विभागों में उन्होंने सरकारी नौकरी भी की, लेकिन आगे बढऩे की ललक उनके अंदर की जिज्ञासा को ओर बढ़ाती गई। वर्तमान में ऊधमसिंह नगर जिले में रेशम विभाग में सहायक निदेशक हेम की इन्हीं उपलब्धियों व जज्बे को देखते हुए 'जोश टॉक्स' नाम के यू-ट्यूब चैनल ने उन्हें आमंत्रित किया।

ये उपलब्धियां हैं हेम के नाम

  • बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर उत्तराखंड,  मिस्टर कुमाऊं, मिस्टर नैनीताल, मिस्टर हल्द्वानी, मिस्टर पंतनगर विश्विद्यालय का खिताब
  • पाॅवर लिफ्टिंग एवं वेट लिफ्टिंग में तीन साल तक विवि चैंपियन
  • विश्वविद्यालय की बॉडी बिल्डिंग, पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग, इंडोर टीम के कप्तान रहे

यहां की नौकरी

  1. केंद्रीय पुलिस में सब-इंस्पेक्टर
  2. पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में प्रक्षेत्र प्रबंधक
  3. टीडीसी उत्तराखंड में बीज उत्पादन अधिकारी

डेढ़ साल में पिता को खोया

गरीबी और अभाव के कारण अक्सर युवा सोचते हैं कि वे जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। ऐसे लोगों के लिए हेम ने मिसाल पेश की है। उन्होंने बताया कि जब वे महज डेढ़ साल के थे तो उनके पिता खीम राम आर्य की मृत्यु हो गई थी। निरक्षर मां ने मृतक आश्रित पद पर नौकरी करते हुए कठिन संघर्षों के बीच तीन बच्चों की परवरिश की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.