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कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के वाद बिंदुओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्ष‍ित

हाई कोर्ट ने लोहाघाट के कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देती पूर्व विधायक पूरन सिंह फत्र्याल की चुनाव याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कांग्रेस विधायक अधिकारी और पूरन सिंह की ओर से तय वाद बिंदुओं पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By kishore joshiEdited By: Skand ShuklaPublished: Wed, 28 Sep 2022 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 07:50 AM (IST)
कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के वाद बिंदुओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्ष‍ित
पूरन फर्त्याल ने कांग्रेस ने व‍िधायक खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती दी है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल: हाई कोर्ट ने लोहाघाट के कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देती पूर्व विधायक पूरन सिंह फत्र्याल की चुनाव याचिका पर सुनवाई की।

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कोर्ट ने कांग्रेस विधायक खुशाल सिंह अधिकारी और भाजपा प्रत्याशी रहे पूरन सिंह की ओर से तय वाद बिंदुओं पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस फैसले के बाद ही तय होगा कि चुनाव याचिका पर सुनवाई होगी या नहीं।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में इस मामले में पिछले तीन दिन से सुनवाई हो रही थी। विधायक अधिकारी की ओर से प्रारंभिक वाद बिंदुओं पर सुनवाई हुई।

अधिकारी का कहना था कि चुनाव याचिका पोषणीय नहीं है। चुनाव याचिका का कोई आधार नहीं है। याचिका की अदालत में दाखिल प्रतिलिपि व उनको प्रदान की गई प्रतिलिपि में अंतर है।

न्यायालय में दाखिल प्रतिलिपि में याचिकाकर्ता के हस्ताक्षर नहीं हैं, लिहाजा याचिका निरस्त की जाए। जबकि याचिकाकर्ता पूरन सिंह के अधिवक्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पेश की गई।

कहा गया कि हस्ताक्षर कभी भी किए जा सकते हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अधिकारी के वाद बिंदुओं पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।

यह थी याचिका

लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पराजित प्रत्याशी पूरन फर्त्याल ने कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी खुशाल सिंह अधिकारी के निर्वाचन को चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी थी।

जिसमें कहा गया था कि अधिकारी ने 24 जनवरी 2022 को नामांकन किया लेकिन शपथ पत्र 28 जनवरी को दाखिल किया, यही नहीं शपथ पत्र में गलत सूचनाएं दी ।

नामांकन के समय उनके 25 सरकारी कार्यों के ठेके चल रहे थे, जिसे छिपाया गया। चुनाव जीतने के बाद भी दो सरकारी ठेके प्राप्त किए। याचिका में इस आधार पर अधिकारी का निर्वाचन रद करने की मांग की गई थी।


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