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'लक्ष्‍मी' हथिनी की हालत हुई और गंभीर, पारंपरिक भोजन छोड़ा, दिया जा रहा पैष्टिक भोजन

वन विभाग की लक्ष्मी (हथिनी) का दर्द बढ़ता जा रहा है। पिछले कई दिनों से पैरों में संक्रमण के कारण उसकी हालत खराब है। वह खड़ी तक नहीं हो पा रही है।

By Edited By: Published: Fri, 10 May 2019 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 10:51 AM (IST)
'लक्ष्‍मी' हथिनी की हालत हुई और गंभीर, पारंपरिक भोजन छोड़ा, दिया जा रहा पैष्टिक भोजन
'लक्ष्‍मी' हथिनी की हालत हुई और गंभीर, पारंपरिक भोजन छोड़ा, दिया जा रहा पैष्टिक भोजन

हल्द्वानी, जेएनएन : वन विभाग की लक्ष्मी (हथिनी) का दर्द बढ़ता जा रहा है। पिछले कई दिनों से पैरों में संक्रमण के कारण उसकी हालत खराब है। वह खड़ी तक नहीं हो पा रही है। वन विभाग साउथ अफ्रीका से लेकर पंतनगर यूनिवर्सिटी तक के विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाकर लक्ष्मी को दिखा चुका है, लेकिन कोई सुधार नहीं आया। बुधवार रात उसकी हालत और बिगड़ गई। डीएफओ लक्ष्मी का उपचार मथुरा स्थित एलीफेंट केयर सेंटर में कराना चाहते हैं। लेकिन चीफ वाइल्ड लाइफ काफी पहले पत्र भेजने के बाद भी अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिल सकी है।
हाई कोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने निजी रिसॉर्ट से आठ हथिनियों को कब्जे में लिया था। बाद में एक को वापस कर दिया, जबकि सात को आमडंडा में रखा गया। वहीं एक हथिनी लक्ष्मी के पांव में शुरू में हल्का संक्रमण था। धीरे-धीरे यह बढ़ता गया। वन विभाग ने एक से बढ़कर एक चिकित्सकों की टीम बुलाकर उसकी जांच कराई, पर हालत नहीं सुधरी। लगातार हालत बिगड़ने पर डीएफओ रामनगर बीपी सिंह ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से मथुरा में उसका उपचार कराने की परमिशन मांगी। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। नतीजतन बुधवार रात उसकी हालत और बिगड़ गई, जिससे वन विभाग टेंशन में आ चुका है। नाखून का हिस्सा उखड़ा वन विभाग के मुताबिक, पहले लक्ष्मी के एक पांव में आगे की तरफ संक्रमण था। धीरे-धीरे यह पिछले पांव में भी फैल गया। उसका एक नाखून तक उखड़ गया है। अब उसका निढाल पड़ना और खतरनाक हो चुका है।

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पारंपरिक भोजन तक छोड़ा
लक्ष्मी अब गन्ना, गुड़, पीपल डाली समेत अन्य पारंपरिक भोजन नहीं करती। उसे खीरा, तरबूज, पत्तागोभी के अलावा वे चीजें दी जा रही है, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा बरकरार रहे।

दस अगस्त को लाई गई थी
लक्ष्मी समेत अन्य हथिनियों को पिछले साल दस अगस्त को आमडंडा लाया गया था। यहां टिनशेड व अन्य सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। वनकर्मियों की पूरी टीम उसकी देखभाल में जुटी है, पर हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही।

कुछ नहीं कर सके डॉक्टर
पंतनगर कृषि विवि का बड़ा नाम होने के बावजूद वहां के पशु चिकित्सक लक्ष्मी की हालत में सुधार नहीं ला सके। जनवरी व फरवरी में दो बार टीम आई। इसके अलावा साउथ अफ्रीका, हल्द्वानी चिड़ियाघर, आईवीआरआई बरेली, कॉर्बेट व मथुरा से चिकित्सक उसे देखने पहुंच चुके हैं। मथुरा में देश का स्पेशलिस्ट सेंटर मथुरा स्थित एलीफेंट केयर सेंटर देश का पहला स्पेशलिस्ट सेंटर हैं। एशिया के 50 प्रतिशत हाथी भारत में पाए जाते हैं। इस केयर सेंटर में घायल हाथियों को लाने व ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस से लेकर हर तरह के संसाधन मौजूद हैं। डीएफओ रामनगर बीपी सिंह ने सेंटर के निदेशक से वार्ता कर इलाज की मंजूरी भी ली है। बस चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से अनुमति मिलने की दरकरार है।

खत्म हुई खड़े होने की ताकत
आखिर लक्ष्मी हथिनी के साथ वही हुआ, जिसका डर था। उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। कई दिनों से क्रेन की मदद से खड़ी की जा रही लक्ष्मी के पैरों में अब इतनी भी ताकत नहीं रही कि वह अब उठ सके। गुरुवार को क्रेन की मदद से उसे फिर खड़ा करने का प्रयास किया गया तो वह जमीन पर गिरकर फिर से निढाल हो गई। उसके पीछे के एक पैर का तलवा व नाखून तक निकल गया है। लक्ष्मी सिर्फ हथिनी नहीं, वन विभाग के परिवार का हिस्सा है। उसका ठीक होना मेरी सर्विस की सबसे बड़ी कामयाबी होगी।

उच्‍चाधिकारियों को लिखा गया है पत्र 
बीपी सिंह, डीएफओ रामनगर ने बताया कि मथुरा में उपचार के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। बुधवार रात से स्थिति और बिगड़ गई है। उसे बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। 
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