Nainital News : तीन साल में नैनीताल जिले के 34 फीसद कुपोषितक बच्चों की सेहत सुधरी
बाल विकास विभाग जन्म से तीन वर्ष तक के बच्चों की सेहत के आधार पर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को सूचीबद्ध करता है। आंकड़ों के अनुसार जिले में वर्ष 2019-20 में 1781 बच्चे कुपोषित और 37 अतिकुपोषित थे। जबकि वर्ष 2021-22 में 571 बच्चे कुपोषित और 37 अतिकुपोषित रह गए।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : जिले में बाल विकास विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के निरंतर प्रयास से तीन साल में कुपोषित और अतिकुपोषित 34 फीसदी बच्चों की सेहत सुधरी है। ऐसे बच्चों की संख्या 1838 से घटकर 571 रह गई है। हालांकि, कुपोषितों की अपेक्षा अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में अधिक सुधार दिख रहा है।
बाल विकास विभाग जन्म से तीन वर्ष तक के बच्चों की सेहत के आधार पर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को सूचीबद्ध करता है। इसके अलावा बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पोषक आहार और जरूरी परामर्श दिया जाता है। आंकड़ों के अनुसार जिले में वर्ष 2019-20 में 1781 बच्चे कुपोषित और 37 अतिकुपोषित थे। जबकि वर्ष 2021-22 में 571 बच्चे कुपोषित और 37 अतिकुपोषित रह गए।
विभाग के अनुसार पोषण स्तर बढ़ाने के लिए बच्चों, किशोरी, धात्री और गर्भवतियों को पोषण आहार बांटा जा रहा है। इसके अलावा जिले में संचालित 1416 आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह बच्चों को पोषाहार खिलाने के साथ स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। वहीं, अधिकारियों ने 135 बच्चों को गोद लिया था। जिनमें से अधिकांश अतिकुपोषित थे। वर्तमान में 98 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं।
तीन साल में यह रही स्थिति
वर्ष कुपोषित अतिकुपोषित
2019-20 1781 57
2020-21 1245 48
2021-22 571 37
नोट : आंकड़े वित्तीय वर्ष के आधार पर दिए गए हैं।
जिला परियोजना अधिकारी बाल विकास विभाग नैनीताल मुकुल चौधरी ने बताया कि कुपोषण से बचाने के लिए पोषण स्तर को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा अधिकारी ऐसे बच्चों को गोद ले रहे हैं। जागरूकता कार्यक्रमों से कुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
कुपोषण में हल्द्वानी और रामनगर अव्वल
एक ओर जिले में हर साल कुपोषित बच्चों की सेहत सुधर रही है तो वहीं दूसरी ओर कुपोषण के मामले में हल्द्वानी और रामनगर अव्वल हैं। आंकड़ों के मुताबिक हल्द्वानी शहर में 244, रामनगर में 103, हल्द्वानी ग्रामीण 38, कोटाबाग 56, धारी 37, ओखलकांडा 59, बेतालघाट 11, भीमताल 46, रामगढ़ 14 बच्चे कुपोषित और अतिकुपोषित हैं। हालांकि, विभाग का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में अधिकांश कुपोषित बच्चे मलिन बस्तियों के हैं। जिनकी सेहत सुधारने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।