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हल्द्वानी के लोग कभी नहीं भूलेंगे गोपाल दास नीरज के साथ वो यादगार शाम

जागरण उत्सव में कवि गोपाल दास नीरज ने श्रोताओं की फरमाइश पर अपने चिरपरिचित अंदाज में एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाई थी। हल्द्वानी के लोग उस यादगार शाम को नहीं भूल सकते।

By Edited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 01:26 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 05:17 PM (IST)
हल्द्वानी के लोग कभी नहीं भूलेंगे गोपाल दास नीरज के साथ वो यादगार शाम
हल्द्वानी के लोग कभी नहीं भूलेंगे गोपाल दास नीरज के साथ वो यादगार शाम
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: हल्द्वानी के लोग उस यादगार शाम को नहीं भूल सकते जब दैनिक जागरण के जागरण उत्सव में कवि गोपाल दास नीरज ने श्रोताओं की फरमाइश पर अपने चिरपरिचित अंदाज में एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाई थी। वह अलग-अलग मौकों पर दो बार हल्द्वानी में आयोजित कवि सम्मेलन आए थे। संगीत को अपनी लेखनी से शब्द देने वाला कवि खामोश हो गया, लेकिन उनके गीत और कविताएं हमेशा फिजाओं में गूंजती रहेंगी। प्रख्यात कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज का बुधवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। नीरज की कलम से हर वो कविता और गीत निकले जिसने श्रोताओं के दिल को छू लिया। उनका नाम आते ही जिंदगी का फलसफा लिए गीत जुबान पर आ जाते हैं, ये गीत नीरज की कलम से ही निकलते थे। जीवन के हर रंग, हर दौर पर नीरज ने कविताएं लिखी, गीत लिखे। है बहुत अंधियारा अब सूरज निकलना चाहिए, जिस तरह से भी ये मौसम बदलना चाहिए, रोज जो चेहरे बदलते हैं, लिबासों की तरह अब जनाजा जोर से उनका निकलना चाहिए। नीरज से समाज के हर वर्ग के लिए गीत लिखे, कभी-कभी तो उनकी कविता कमजोरों की जुबान बन गई। ¨हदी फिल्मों के लिए लिखे नीरज के गीतों को कौन भूल सकता है, शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब.गीत को आज भी उसी ताजगी के साथ सुना जाता है। 60 से 70 के दशक के दौर में अधिकांश फिल्मों में नीरज के गीत ही गूंजते थे। फिल्म इंडस्ट्री के संगीत पक्ष को गोपाल दास नीरज ने एक से बढ़कर एक गीत दिए। काव्य पाठ के मंच पर नीरज की मौजूदगी श्रोताओं को एक सुकून का अनुभव कराती थी। मंच पर कविता पाठ के दौरान उनके बैठने का अलग अंदाज होता था। हल्द्वानी में कुछ साल पहले दैनिक जागरण के आमंत्रण पर गोपाल दास नीरज हल्द्वानी आए थे। जागरण की ओर से कुमाऊं में अपनी यूनिट स्थापना करने के उपलक्ष्य में जागरण उत्सव आयोजित किए गया था। इस मौके पर हुए कवि सम्मेलन में गोपाल दास नीरज ने कविता पाठ कर हल्द्वानी के लोगों को हमेशा के लिए अपना मुरीद बना दिया। नीरज अब नहीं रहे, लेकिन लोग कभी नहीं भूलेंगे गोपाल दास नीरज के साथ बीती वो यादगार शाम। =========== गिर्दा के करीबी रहे नीरज कुमाऊं के प्रसिद्ध जनकवि स्व. गिरीश तिवारी 'गिर्दा' गोपाल दास नीरज के करीबी रहे। सांस्कृतिक रूप से समान विचारधार होने के कारण उन्होंने कई मौके पर मंच साझा भी किए। लोक संस्कृति व जनकवि को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि गोपाल दास नीरज गिर्दा से वरिष्ठ थे। अपने शुरूआती दौर पर गिर्दा नीरज को फ्लो भी करते थे, लेकिन बाद में गोपाल दास नीरज के मुंबई जाने के बाद गिर्दा की विचारधार बदल गई।

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