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बाज के हरे पेड़ों पर चली कुल्‍हाड़ी, ग्रामीणों में पनप उठा आक्रोश

घटते जंगलात व वनाग्नि संग वैश्विक तापवृद्धि की साल दर साल बढ़ती चुनौती के बीच कोसी घाटी के मिश्रित वन क्षेत्र में हरियाली के दुश्मनों ने हरे भरे बांज और काफल के पेड़ काट गिराए।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 12:04 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 12:04 PM (IST)
बाज के हरे पेड़ों पर चली कुल्‍हाड़ी, ग्रामीणों में पनप उठा आक्रोश
बाज के हरे पेड़ों पर चली कुल्‍हाड़ी, ग्रामीणों में पनप उठा आक्रोश

गरमपानी, जेएनएन : घटते जंगलात और वनाग्नि के साथ वैश्विक तापवृद्धि की साल दर साल बढ़ती चुनौती के बीच कोसी घाटी के मिश्रित वन क्षेत्र में हरियाली के दुश्मनों ने हरे भरे बांज और काफल के पेड़ काट गिराए। चिंतनीय पहलू यह कि एक ओर जहां करोड़ों खर्च कर पौधरोपण के परिणाम उम्मीद से कम हैं, वहीं इस जंगलात में प्राकृतिक पुनरोत्पादन के जरिए तेजी से बढ़ रहे पर्यावरण व जैवविविधता में मददगार 15 से ज्यादा पेड़ों पर सितम ढाया गया है। इतने ही पेड़ों की अवैज्ञानिक तरीके से कटान कर सूखने को छोड़े गए हैं। इससे आसपास के ग्रामीणों में जहां आक्रोश पनप उठा है, वहीं हरकत में आए वन विभाग ने कहा, जांच करा कार्रवाई की जाएगी।

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मामला अल्मोड़ा व नैनीताल जिले की सीमा पर खैरना सिल्टोना खलाड़ रोड पर गढ़खेत गांव (बेतालघाट) से लगे मिश्रित सघन वन क्षेत्र का है। यहां कुछ बाहरी अराजक तत्वों ने जंगलात मुख्य सड़क से लगे क्षेत्र में बहुपयोगी बांज व काफल के करीब 15 छोटे पेड़ बड़े होने से पहले ही काट डाले हैं। कुछ कुल्हाड़ी तो कई पर आरी चलाई गई है। ग्रामीणों ने इन अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। जानकारों की मानें तो वन क्षेत्रों के अंधाधुंध दोहन का ही नतीजा है कि करोड़ों पौधे रोपे जाने के बावजूद राज्य का वनआच्छादित क्षेत्रफल 45 फीसद से आगे नहीं बढ़ पा रहा।


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