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कार्बेट में मोदी ट्रेल की योजना को भूला शासन, ट्रेल विकसित होने से होगा पर्यटन में इजाफा

दो साल से अधिक बीतने के बाद भी पर्यटन विभाग द्वारा इस योजना पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। कार्बेट में मोदी टे्रल बनने से पर्यटन में इजाफा होने की उम्मीद है। 14 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कालागढ़ के रास्ते कार्बेट पार्क में आए थे।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 03:55 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 03:55 PM (IST)
कार्बेट में मोदी ट्रेल की योजना को भूला शासन, ट्रेल विकसित होने से होगा पर्यटन में इजाफा
प्रधानमंत्री डिस्कवरी चैनल के लिए बनाए गए मैन वर्सेज वाइल्ड शो में भी दिखे थे।

जागरण संवाददाता, रामनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्बेट पार्क के सफर में आने के दौरान पर्यटन विभाग द्वारा की गई मोदी टे्रल की योजना अधर में है। दो साल से अधिक बीतने के बाद भी पर्यटन विभाग द्वारा इस योजना पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। कार्बेट में मोदी टे्रल बनने से पर्यटन में इजाफा होने की उम्मीद है।

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14 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कालागढ़ के रास्ते कार्बेट पार्क में आए थे। उसी दिन देर शाम वह रामनगर से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। प्रधानमंत्री डिस्कवरी चैनल के लिए बनाए गए मैन वर्सेज वाइल्ड शो में भी दिखे थे। इस शो के प्रसारित होने के बाद दुनिया में कार्बेट की वाइल्ड लाइफ को एक पहचान मिली थी। तब मोदी के कार्बेट में आने से उत्तराखंड शासन व सीटीआर काफी उत्साहित हुआ था।

प्रधानमंत्री जिस साहस के साथ कार्बेट के जंगल में जहां जहां से भी गुजरे पर्यटन विभाग ने उन मार्गों को एक विशिष्ट पहचान देेने के लिए उनका नाम मोदी टे्रल रखने की बात कही थी। ताकि कार्बेट पार्क आने वाले पर्यटक उन जगह पर रोमांच का अहसास कर सकें। सीटीआर के निदेशक राहुल ने बताया कि प्रधानमंत्री जिस मार्ग से गुजरे थे उन मार्गों को मोदी टे्रल नाम देने की बात उस समय पर्यटन विभाग की ओर से कही गई थी। लेकिन अब तक शासन की ओर से इस संबंध में कार्बेट से कोई प्रस्ताव शासन की ओर से नहीं मांगा गया है। मांगने पर प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। वन्य जीवों के रखवालों को पड़े वेतन के लाले

तीन माह से सीटीआर के कालागढ़ क्षेत्र के कर्मियों को नहीं मिला वेतन

कार्बेट टाइगर रिजर्व में वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले दैनिक श्रमिकों को कोविड कफ्र्यू में वेतन के लाले पड़े हुए हैं। तीन माह से उन्हें विभाग से कोई वेतन तक नहीं दिया गया है। ऐसे में उनके समक्ष परिवार के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा होने लगा है।

कार्बेट टाइगर रिजर्व में रामनगर टाइगर रिजर्व व कालागढ़ टाइगर रिजर्व में शामिल है। इन दोनों जगह में करीब पांच सौ दैनिक श्रमिक संविदा पर कार्यरत है। यह श्रमिक 24 घंटे जंगल के घने जंगलों के भीतर वन चौकियों में रहकर वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए गश्त करते हैं। इसके अलावा वनाग्रि की रोकथाम में भी अपना पूरा सहयोग देते हैं। इसके बावजूद कालागढ़ टाइगर रिजर्व के करीब दो सौ कर्मचारियों को मार्च, अपै्रल व मई का वेतन तक नहीं मिला है। वह वेतन के लिए परेशान है। लेकिन विभाग में वेतन कब तक मिलेगा यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं है। ऐसे में वह रोज वेतन मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

दैनिक संविदा आउटसोर्स श्रमिक संघ के शाखा उपाध्यक्ष राजेश कपिल ने बताया कि तीन माह से वेतन नहीं मिलने से उनके समक्ष परिवार चलाने में परेशानी खड़ी होने लगी है। इतना ही नहीं वन चौकियों के भीतर रह रहे कर्मचारियों को राशन तक नहीं दिया जा रहा है। इस बारे में सीटीआर के निदेशक राहुल ने बताया कि बजट की कमी की वजह से वेतन खाते में डालने में कुछ देरी हुई होगी। फिर भी वेतन नहीं मिलने की वजह कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ बता पाएंगे। उधर कालागढ़ के डीएफओ किशन चंद्र का फोन रेंज से बाहर था।

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