सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीज नहीं दे पाए वोट, मताधिकार से हुए वंचित
लोकतंत्र के महापर्व में हर कोई अपने मत का प्रयोग करने को बेताब हैं मगर सेहत से लाचार कुछ वोटर ऐसे भी हैं जो इस बार मताधिकार से वंचित रह गए।
हल्द्वानी, जेएनएन : लोकतंत्र के महापर्व में हर कोई अपने मत का प्रयोग करने को बेताब हैं, मगर सेहत से लाचार कुछ वोटर ऐसे भी हैं जो इस बार मताधिकार से वंचित हो गए। अस्पतालों में भर्ती रहकर बीमारी से लड़ रहे मरीज अपना वोट नहीं दे पाए। यही नहीं, चुनावी उत्सव में ड्यूटी के चलते उनकी देखरेख करने वाले कर्मचारियों का भी अस्पताल में टोटा हो गया है। सरकारी अस्पतालों में मौजूदा समय में करीब 599 महिला व पुरुष ऐसे हैं, जो सेहत दुरुस्त नहीं होने के कारण भर्ती हैं। इसी तरह शहर के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती रोगियों को मिलाकर यह संख्या 824 पहुंच जाती है।
बेस अस्पताल-58 मरीज
बेस अस्पताल में 58 महिला-पुरुष मरीज लंबे समय से भर्ती हैं। इनकी देखरेख करने के लिए वैसे तो कुल 24 कर्मचारी रहते हैं, लेकिन इनमें से नौ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व चार क्लर्क चुनाव डयूटी में व्यस्त रहेंगे। इसके चलते न तो मरीजों की देखरेख ठीक से हो सकेगी और न ही ये मरीज मतदान कर पाएंगे।
महिला अस्पताल-62 मरीज
आधी आबादी का वोट भी महत्व रखता है, मगर इस बार महिला अस्पताल में 62 महिलाएं लोकतंत्र के इस महापर्व मेंं शामिल नहीं हो सकेंगी। यहां पर एक फार्मासिस्ट और ऑफिस स्टाफ के चार कर्मी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहेंगे। ऐसे में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
सुशीला तिवारी अस्पताल-479 मरीज
सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती इस बार काफी संख्या में मरीज मतदान से वंचित रह जाएंगे। अस्पताल में इस समय 235 महिलाएं और 244 पुरुष भर्ती हैं, जो अस्पतालों में बीमारियों से जंग लड़ रहे हैं। इनकी सेहत इतनी दुरुस्त नहीं कि तीमारदार इन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचा सकें।
प्राइवेट अस्पतालों में यह है स्थिति
सेंट्रल अस्पताल-30 मरीज
विवेकानंद अस्पताल-100 मरीज
कृष्णा अस्पताल-95 मरीज
एक एंबुलेंस है, वह भी बिजी
बेस अस्पताल में दो एंबुलेंस थीं। जिनमें से एक एंबुलेंस तो पहले से ही खटारा है और दूसरी एंबुलेंस जो मिली थी वह भी चुनाव में लगा दी गई हैं। अब ऐसे में मतदान के वक्त बेस अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा नहीं रहेगी।
चुनाव के चलते कर्मचारियों की ड्यूटी लगी
एसके शाह, प्रमुख अधीक्षक बेस अस्पताल ने बताया कि चुनाव के चलते कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है। जबकि सरकारी अस्पतालों में काफी संख्या में मरीज वोट देने में असमर्थ हैं। जिनकी हालत बेहतर हो रही है, उनको डिस्चार्ज भी कर रहे हैं।
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