Move to Jagran APP

कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्‍चों का जीवन संवार रहीं हैं गायत्री पांडे

कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्‍चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर कर हुनरमंद बनाने का काम रुद्रपुर के प्राइमरी स्‍कूल की शिक्षिका गायत्री पांडे कर रही हैं। ऐसे बच्चों को वह खुद चिन्हित कर उनके परिजनों से मिलती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 12:15 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 12:15 PM (IST)
कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्‍चों का जीवन संवार रहीं हैं गायत्री पांडे
कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्‍चों का जीवन संवार रहीं हैं गायत्री पांडे

रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : कूड़ा बीनने और भीख मांगने वाले बच्‍चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर कर हुनरमंद बनाने का काम रुद्रपुर के प्राइमरी स्‍कूल की शिक्षिका गायत्री पांडे कर रही हैं। ऐसे बच्चों को वह खुद चिन्हित कर उनके परिजनों से मिलती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं। स्‍कूल में प्रवेश दिलाने के साथ ही घर पर जाकर भी पढ़ाती हैं। बच्‍चों को भीख मांगना और कूड़ा न बीनना पड़े इसके लिए वह उन्‍हें हुनरमंद भी बना रही हैं।

loksabha election banner

भीख मांगने वाले और कूड़ा बीनने वाले बच्‍चों का परिवार इन्‍ही माध्‍यमों से गुजर बशर करता है, ऐसे में उनके पास स्‍कूल जाने का समय नहीं होता है। ऐसे बच्‍चों की मुश्किलों को समझ़ते हुए गायत्री ने उन्‍हें शिक्षित करने के साथ हुनरमंद बनाने की ठानी। उन्‍होंने बच्‍चों को लिफाफे और बेकार वस्तुओं से सजावटी सामान बनाना सिखाना शुरू किया। जिससे में वो सही माध्‍यमों से रचनात्‍मक तरीके से अपना खर्च निकाल सकें। वह करीब 10 साल से इस मुहिम में लगी हैं।

एक हजार से अधिक बच्‍चे जुड़े

गायत्री की मुहिम से अब तक 1000 से भी अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं। इनमें से कई बच्चे आठवीं की पढ़ाई पूरी कर आगे की शिक्षा ले रहे हैं। इन बच्चों को सामान्य शिक्षा नहीं बल्कि विशेष शिक्षा दी जाती है। स्कूल में इनको प्रवेश दिलाकर विषय वार पढ़ाई के अलावा अंग्रेजी पर विशेष कक्षाएं संस्कृत का पाठ्यक्रम, धर्म संस्कृति, योगाभ्यास, व्यवहारिक ज्ञान, नीति शिक्षा, सहित अन्य विभिन्न प्रकार की गतिविधियां कराई जाती है।

कोविड के दौरान घर जाकर दी शिक्षा

कोविड-19 के दौरान जब सभी शैक्षिक संस्थान, स्कूल, कॉलेज बंद थे इस दौरान गायत्री को लगा कि कहीं फिर से यह बच्चे कूड़ा बीनने या फिर भीख मांगने में न लग जाएं, इसलिए पिछले साल से अब तक वह बच्चों के घर जाकर उन्हें शिक्षा देती रहीं। जिससे पूर्व में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम व गतिविधियों को छात्र भूल न जाएं। वर्तमान में यह छात्र सामान्य छात्रों से कम नहीं है। हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामान्य ज्ञान, विज्ञान सहित विभिन्न प्रकार की योग एवं अन्य गतिविधियों के बारे में भली-भांति जानते हैं। स्‍कूल में प्राइमरी के बच्चे कर्सिव राइटिंग लिखते हैं।

लिफाफा बनाकर कर कमार रहे रुपए

बच्चे निर्धन परिवार से हैं। कूड़ा बीनकर या भीख मांगकर घर चलते थे। अब खाली समय में बच्चे अखबार से लिफाफा तैयार करते हैं और उससे दुकानों पर रख देते हैं। इससे अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की पूर्ति कर लेते हैं और भिक्षावृत्ति से भी दूर हैं।

अंग्रेजी में अच्छी पकड़

गायत्री ने आज के परिवेश को देखते हुए इन बच्चों का अंग्रेजी पर विशेष फोकस रखा है। यह बच्चे अंग्रेजी की किताब कक्षा 3-4 तक जाते पढ़ रहे हैं । इसके अलावा शब्दों पर पकड़ बनाने के लिए वर्ड्स का अंताक्षरी खेलते हैं।

200 से अधिक दोहे और 100 से अधिक श्लोक कंठस्थ

देवभूमि के बच्चे देववाणी से भला कैसे दूर रहें इसका भी गायत्री ने ध्‍यान रखा। बच्चों को कवियों के बारे में बताएं। साथ ही उन्हें दोहे और श्लोक भी कंठस्थ कराए। वर्तमान में यहां के बच्चों को 200 से भी अधिक दोहा और 100 से अधिक श्लोक याद है।

अलग मुहिम चलाने की जरूरत

संजय नगर राजकीय प्राथमिक विद्यालय शिक्षिका गायत्री पांडे बताती हैं कि सरकार भले ही सरकारी स्‍कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती है, लेकिन इससे भी अब तक बहुत से बच्चे दूर हैं। जिन घरों में बच्चे भीख मांगकर और कूड़ा बीनकर अपनी आजीविका चलाते हैं, उन्‍हें शिक्षा से जोड़ने के लिए मुहिम चलाने की जरूरत है। ताकि उनका घर भी चलता रहे और वह शिक्षा भी ले सकें, इससे काफी हद तक सुधार किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.