रीविजिटिंग गांधी: स्वरोजगार व शिक्षा को आगे बढ़ाने में गांधीजी का अहम योगदान : पाठक
Revisiting Gandhi देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अृमत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी के तहत बागेश्वर में पदयात्रा हो रही है। इस दौरान उत्तराखंड के कुमाऊं में गांधीजी के याेगदान को याद किया गया।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : Revisiting Gandhi: आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में रीविजटिंग गांधी नाम से पदयात्रा निकाली जा रही है। यह यात्रा महात्मा गांधीजी द्वारा स्थापित अनासक्ति आश्रम कौसानी से निकाली गई। कौसानी का वातावरण गांधीजी को बहुत प्रिय था।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बागेश्वर के तत्वाधान में आयोजित यात्रा दूसरे दिन गागरीगोल से जिला मुख्यालय के लिए रवाना हुई। इस मौके पर मुख्य वक्ता समाजसेवी भुवन पाठक ने कहा कि गांधीजी के आने के बाद ही कत्यूर घाटी में स्वरोजगार, महिला व बालिका को बढ़ावा मिला। इस दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित किया गया।
गागरीगोल के गांधी चौक पर रीविजिटिंग गांधी कौसानी से बागेश्वर यात्रा के पदयात्री मंगलवार को रवांइखाल पहुंची। इसके बाद स्वराज भवन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता भुवन पाठक ने कहा कि साल 1929 में कत्यूर घाटी में गांधीजी की ही प्रेरणा से यहां वन आंदोलन की शुरुआत हुई। लक्ष्मी आश्रम व खादी आश्रम खुले। जिससे लोगों को स्वरोजगार मिला।
महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डा. हेम चंद्र दुबे के कहा कि गांधीजी के आह्वान पर कत्यूर के कई सेनानी आजादी के आंदोलन में कूदे और गांव-गांव में आजादी की अलख जगी। अध्यक्षता करते हुए डायट के प्राचार्य डा. शैलेंद्र धपोला ने कहा कि गांधीजी की कौसानी से बागेश्वर की यात्रा को सहेजने के लिए डायट प्रयास कर रहा है।
समन्वयक डा. रवि कुमार जोशी ने यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डीएलएड के प्रशिक्षुओं ने उत्तराखंड गीत गया।
स्वतंत्रता सेनानी परिवार को किया सम्मानित
स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान, जीवन चंद्र दुबे, उमेश जोशी, हीरा सिंह नेगी, सुरेश ममगाई, नवीन चंद्र तिवारी, बलवंत सिंह बोरा, सुरेश जोशी, कैलाश खोलिया, कमलेश मेहता, मोहन जोशी, भुवन ममगाई, दीपक पंत आदि को इस मौके पर सम्मानित किया गया।
गांधीजी की मूर्ति पर किया माल्यार्पण
गागरीगोल में स्थित गांधीजी की मूर्ति पर 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान ने माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।उन्होंने कहा कि गांधीजी के विचार वर्तमान हालातों में और भी अधिक प्रासंगिक हैं। इस मौके पर डायट ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
गांधीजी की स्मृति में पौधारोपण
यात्रा में चल रहे वृक्षमित्र किशन सिंह मलड़ा ने कौसानी से गागरीगोल तक जगह-जगह पौधे रोपे। इस दौरान बरगद, आंवला आदि प्रजाति के पौधे रोपे गए।