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सुंदरढूंगा में हेलीकाप्टर और सेटलाइट फोन से चार टीमों ने शुरू किया रेस्क्यू आपरेशन

बागेश्‍वर जिले के कपकोट तहसील के सुंदरढूंगा घाटी में चार बंगाली मूल के पांच पर्यटकों की मौत की सूचना के बाद दूसरे दिन यानी शुक्रवार को जिला प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया है। यहां एक पर्यटक लापता होने की भी सूचना है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 10:41 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 10:41 AM (IST)
सुंदरढूंगा में हेलीकाप्टर और सेटलाइट फोन से चार टीमों ने शुरू किया रेस्क्यू आपरेशन
सुंदरढूंगा में हेलीकाप्टर और सेटलाइट फोन से चार टीमों ने शुरू किया रेस्क्यू आपरेशन

बागेश्वर, जागरण संवाददाता : बागेश्‍वर जिले के कपकोट तहसील के सुंदरढूंगा घाटी में चार बंगाली मूल के पांच पर्यटकों की मौत की सूचना के बाद दूसरे दिन यानी शुक्रवार को जिला प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया है। यहां एक पर्यटक लापता होने की भी सूचना है। जिला प्रशासन का अब पूरा फोकस सुंदरघाटी पर है। हेलीकाप्टर की भी मदद ली जा रही है। जिलाधिकारी कपकोट में बैठकर खोज बचाव पर गई चार टीमों को सेटेलाइट फोन के जरिए दिशा-निर्देश दे रहे हैं।

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पिछले दिनों मौसम खराब होने के कारण भारी बारिश ने पूरे जिले में जमकर तबाही मचाई। साहसिक पर्यटकों को भी इसका दंश झेलना पड़ा है। सुंदरढूंगा की तरफ गए छह पर्यटक बंगाली मूल के बताए जा रहे हैं। जिसमें से पांच लोगों की मौत की सूचना थी, जबकि एक लापता है। शुक्रवार को जिलाधिकारी विनीत कुमार के निर्देश पर रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया है। एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व पुलिस और स्थानीय लोगों को टीम में शामिल किया गया है।टीम सुंदरढूंगा पहुंचने की सूचना है। वह सुंदरढूंगा की घाटी में खोज अभियान चला रहे हैं। हालांकि अभी तक टीम को किसी भी प्रकार की कामयाबी नहीं मिल सकी है।

वहीं, पिंडारी की तरफ गए 18 देसी, 8 विदेशी और 16 स्थानीय लोगों को द्ववाली लोनिवि गेस्ट हाउस से रेस्क्यू कर लिया गया है। यह लोग पिंडर नहीं में बने अस्थाई पुलों के बहने से फंस गए थे। उन्हें खरकिया लाया गया है। जिला मुख्यालय लाने के लिए वाहन लगा दिए गए हैं। उनके दोपहर बाद जिला मुख्यालय पहुंचने की उम्मीद है। कफनी में लापता 16 चरवाहे भी मिल गए हैं। जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि उन्हें भी रेस्क्यू किया जा रहा है। सभी चरवाहों को पखुवा टॉप लाया जाएगा। ग्राम प्रधान झुनी कुंदन सिंह ने बताया कि चरवाहे पूरी तरह सुरक्षित हैं। वह अगले तीन महीनों तक अपने बकरी और भेड़ों के साथ पखुवा टॉप के आसपास रहेंगे।


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