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सड़क दुर्घटना में एलआइसी अफसर दंपती समेत चार की मौत, दो साल के बच्चे की बची जान

रामनगर में एक कार के पेड़ से टकराने से पति-पत्नी और सास सहित चार लोगों की मौके पर मौत हो गई। हादसे में दो साल का बच्चा बाल-बाल बच गया।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 14 Apr 2018 08:20 AM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 10:42 PM (IST)
सड़क दुर्घटना में एलआइसी अफसर दंपती समेत चार की मौत, दो साल के बच्चे की बची जान
सड़क दुर्घटना में एलआइसी अफसर दंपती समेत चार की मौत, दो साल के बच्चे की बची जान

रामनगर, [जेएनएन]: रामनगर-काशीपुर मार्ग पर शनिवार तड़के एक कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई। कार में चालक समेत देहरादून में रहने वाले एलआइसी अफसर दंपती, उनकी मां व बेटा सवार थे। जबदस्त भिड़ंत में अफसर दंपती, उनकी मां व चालक की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उनके डेढ़ साल के बेटे को मामूली चोटें आईं हैं। एलआइसी अफसर का परिवार देहरादून से भवाली के घोड़ाखाल में गोल्ज्यू मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जा रहा था। दुर्घटना की वजह चालक को नींद की झपकी आना माना जा रहा है। मृतक एलआइसी अफसर की ससुराल हल्द्वानी में है। 

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देहरादून के हिमाद्री एवन्यू लेन नंबर 4 पोस्ट नेहरूग्राम, नत्थनपुर निवासी हिमांशु असवाल (32) पुत्र वीरेंद्र सिंह व उनकी पत्नी पूजा मेरिया (30) हरिद्वार में एलआइसी में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। शनिवार को हिमांशु अपनी पत्नी, मां राज बाला (58) पत्नी वीरेंद्र सिंह व छोटे बेटे कृष्णांक के साथ देहरादून से स्विफ्ट डिजायर से घोड़ाखाल जा रहे थे। वह देहरादून से टैक्सी बुक कराकर लाये थे।

कार को हरिद्वार के बी135 राजनगर, ज्वालापुर निवासी सूरज सेनी पुत्र रामगोपाल चला रहा था। शनिवार की सुबह सवा पांच बजे उनकी कार रामनगर से 11 किलोमीटर पहले हिम्मतपुर ब्लॉक के आमपानी गेट के समीप पेड़ से टकरा गई। हादसा इतना भीषण था कि दो साल के बच्चे को छोड़कर कार में सवार चारों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

हादसे की सूचना पर पीरूमदारा चौकी इंचार्ज कवींद्र शर्मा मौके पर पहुंचे। काशीपुर 108 एंबुलेंस से शवों को रामनगर संयुक्त चिकित्सालय भेजा गया। सीओ लोकजीत सिंह भी अस्पताल पहुंचकर घटना की जानकारी ली। पुलिस की सूचना पर मृतक पूजा के पिता हल्द्वानी के डिफेंस कॉलोनी कठघरिया निवासी देवेंद्र व मां पे्रमा भी अस्पताल पहुंचीं। बेटी व दामाद का शव देखकर बदहवाश हो गए। लोगों ने उन्हें ढांढस बंधाकर शांत कराया। पुलिस ने पंचनामा की कार्रवाई के बाद शवों का पोस्टमार्टम कराया। 

काश! ट्रेन से आते तो न होता हादसा 

हादसे में काल का ग्रास बना दंपती व परिवार काश ट्रेन से आता तो यह मनहूस क्षण नहीं देखना पड़ता। चिकित्सालय में आने वाले लोगों की जुबान पर दिनभर इस भीषण हादसे की ही चर्चा रही। रिश्तेदारों ने बताया कि अफसर दंपती ने पहले टे्रन से आने का प्लान बनाया था लेकिन ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं मिला। जब उन्होंने टैक्सी से ही वाया रामनगर होते हुए घोड़ाखाल जाने का मन बनाया। नियति को कुछ और ही मंजूर था।

लंबी आयु की कामना लेकर मंदिर में मत्था टेकने से पहले ही उनका सफर अंतिम हो गया। चिकित्सालय में जैसे ही पुलिस ने मोर्चरी से चारों शवों को बाहर निकाला, वहां मौजूद कई व्यक्ति की आंखों नम हो गईं। एक ही परिवार के तीन शवों को देखकर लोग अपनी भावनाओं को नहीं रोक पाए और उनके अश्रु आंखों से छलक उठे। 

दिनभर मम्मा-पापा को ढूंढ रही थी कृष्णांक की आंखें 

सड़क हादसे में अपने माता-पिता को खो चुके कृष्णांक को देखकर हर कोई काल को कोस रहा था। जिस कृष्णांक ने अभी दुनिया तक नहीं देखी। जिसे अब मम्मी पापा की जरूरत थी, उसे उनकी अंगुली पकड़कर दुनिया में चलना सीखना था। उस मम्मी-पापा एवं दादी का साया हमेशा के लिए उसके सिर से उठ चुका था। करीब डेढ़ साल का छोटा बच्चा बोल तो नहीं सकता है। लेकिन  उसे देखने आने वाले लोगों के बीच मासूम की आंखों अपने मम्मी-पापा को ढूंढ रही थीं। वह कुछ देर टकटकी लगाने के बाद अंजान चेहरे दिख फिर नजरें घुमा लेता। हल्की चोट होने के कारण दोपहर बाद परिवार के लोग मासूम को उपचार के लिए काशीपुर ले गए।   

परिवार का इकलौता था हिमांशु 

मृतक हिमांशु असवाल के परिवार में एक विवाहित बहन के अलावा अब कोई नहीं बचा। हिमांशु के पिता का पूर्व में देहांत हो चुका है। वह अपने घर का इकलौता चिराग था। वह अपनी पत्नी व मां के साथ देहरादून रहता था। लेकिन इस हादसे में तीनों की ही मौत हो गई। बताया जाता है कि मृतक पूजा भी इकलौती लड़की थी। 

मां के आंचल ने बचाई बेटे की जान 

जाको राखे साईंयां मार सके न कोय। यह कहावत दो साल के कृष्णांक पर सटीक ही बैठती है। अगली सीट पर बच्चे की दादी बैठी थी। जबकि मासूम अपने पिता व मां के साथ उनकी गोद में पीछे की सीट पर बैठा था। हादसे में अगली सीट पर बैठी दादी, चालक व पीछे बैठे मां व पिता ने दम तोड़ दिया। जबकि कृष्णांक सुरक्षित था।  

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