एक दशक से फाइलों में कैद है पूर्व सीएम एनडी तिवारी की महत्वकांक्षी योजना, लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए की थी तटबंध की घोषणा
तटबंध बनने से भरतपूरी-पंपापुरी और आमडंडा तक के लोगों को कोसी नदी की बाढ़ की विभीषिका का सामना नहीं करना पड़ता। बाईपास बनने से नगर में यातायात का दबाव भी कम हो जाता। पर नेताओं के आश्वासनों के कारण यह परियोजना आज भी अधर में पड़ी है।
जागरण संवादादात, रामनगर (नैनीताल) : एक दशक होने के बाद भी मुख्यमंत्री की बहुआयामी घोषणा आज भी सचिवालय के दफ्तर में धूल फांक रही है। ऐसे में जब पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणा को ही दबा दिया गया हो तो फिर नेताओं के विकास की बातें करना सरासर बेईमानी सी लगती है। यहां बात हो रही है भरतपुरी- पंपापुरी बाईपास और तटबंध की। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने अपने विधानसभा क्षेत्र रामनगर में कोसी नदी से भरतपुरी पम्पापुरी क्षेत्र को बाढ़ की विभीषिका से बचाने तथा नगर में बढ़ते यातायात के दबाव को कम करने के लिए कोसी बैराज से आमडंडा तक वर्ष 2005 में तटबंध और बाईपास बनाने की घोषणा की थी। जिसका शासनादेश भी हुआ था।
घोषणा संख्या 139 दिनांक 24 अगस्त 2005 अभिलेखों में भी दर्ज है। उस समय सिंचाई विभाग और लोनिवि ने बाईपास तटबंध बनाने के लिए 17 करोड़ का आगणन बनाकर भी भेजा था। पर सत्ता पलटी तो मुख्यमंत्री की घोषणा अमलीजामा नहीं पहन पायी। भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी तिवारी की घोषणा को मूर्त रूप दिए जाने के लिए इसका आगणन मांगा था। लोनिवि और सिचाई विभाग ने इसके लिए 40 करोड़ रुपये का आगणन शासन को भेजा। पर 15 साल बीत जाने के बाद भी आज तक एक रुपया भी इस योजना के लिए स्वीकृत नहीं हो पाया।
योजना से यह होता फायदा
इस बहुआयामी परियोजना को यदि अमलीजामा पहना दिया जाता तो डिग्री कॉलेज भरतपूरी-पंपापुरी और आमडंडा तक के लोगों को कोसी नदी की बाढ़ की विभीषिका का सामना नहीं करना पड़ता। बाईपास बनने से नगर में यातायात का दबाव भी कम हो जाता। मगर नेताओं के आश्वासनों और अफसरशाही की लेटलतीफी के कारण यह परियोजना आज भी अधर में पड़ी है। पंपापुर पूरी कल्याण समिति के अध्यक्ष गणेश रावत ने बताया कि सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को इस मामले से अवगत कराया है।