जंगल का रहस्य समझने के बाद जंगल बचाएंगे बच्चे, एनसीसी की तर्ज पर बनेगा फॉरेस्ट ईसीसी
आमतौर पर स्कूली बच्चे सिर्फ किताबों और लेक्चर में जंगल की कहानियां पढ़ते और सुनते हैं लेकिन अब वो जंगल के रहस्य से रूबरू भी होंगे। ताकि समझ सके कि जंगल क्या है।
हल्द्वानी, जेएनएन : आमतौर पर स्कूली बच्चे सिर्फ किताबों और लेक्चर में जंगल की कहानियां पढ़ते और सुनते हैं, लेकिन अब वो जंगल के रहस्य से रूबरू भी होंगे। ताकि समझ सके कि जंगल क्या है। किस तरह हरियाली की सुरक्षा होती है। वनकर्मियों की तरह ट्रेनिंग पाकर बच्चे भी जंगल की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएंगे। एनसीसी की तर्ज पर फॉरेस्ट ईसीसी (ईको कैडेट कॉप्स) का गठन करेगा। इस तरह की पहल प्रदेश में पहली बार हो रही है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन विभाग के अलावा सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भी अभियान चलाती है। स्कूलों में गोष्ठी आदि के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। हालांकि जमीनी समझ नहीं होने से जंगल के रहस्य को समझना बच्चों के लिए एक चुनौती है। ऐसे में हल्द्वानी वन प्रभाग ने पहल करते हुए अब बच्चों को जंगल और उसके इतिहास से रूबरू कराने की योजना बनाई है। शुरुआत में 50 स्कूली बच्चों को इसमें शामिल किया जाएगा। उसके बाद धीरे-धीरे ट्रेनिंग का दायरा बढ़ाया जाएगा। महातिम यादव, डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग ने बताया कि कैडेट एक तरह से वालंटियर की तरह काम करेंगे। एक अक्टूबर से इस पर काम शुरू हो जाएगा। उत्तराखंड में अधिकांश हिस्सा वनभूमि है। बच्चों में पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करना बेहद जरूरी है।
हल्द्वानी-चोरगलिया के कैडेट से शुरुआत
वन विभाग के मुताबिक ईको कैडेट कोप्र्स के गठन की शुरुआत हल्द्वानी व चोरगलिया के स्कूली बच्चों से होगी। अगस्त में फॉरेस्ट ने जंगल को जानो प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसमें 1500 बच्चे शामिल हुए थे। बेहतर प्रदर्शन करने वालों को टीम में शामिल किया जाएगा।
साल में चार बार मिलेगी जंगल ट्रेनिंग
टीम में शामिल बच्चों को जंगल में कैंप कराया जाएगा। फिलहाल फॉरेस्ट गेस्ट में ठहराने की योजना है। साल में चार कैंप लगेंगे। नंधौर, जौलासाल, डांडा जैसे घने जंगल में यह कैंप चलेंगे। जहां बच्चों को जंगल बचाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
हथियार के अलावा बाकि सब प्रशिक्षण
हरियाली व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के कर्मचारी को तमाम तरीके के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। कैडेट्स को हथियार ट्रेनिंग छोड़कर बाकि सभी जानकारियों से अवगत कराया जाएगा। दुर्लभ व संकटग्रस्त वनस्पतियों की पहचान, वन्यजीवों के मूवमेंट को पहचानना उनके व्यवहार आदि से रूबरू करवाया जाएगा।
पुलिस ने सौंपी थी ट्रैफिक कमान
यातायात निदेशालय द्वारा पूर्व में स्कूली बच्चों का सहयोग लेकर बकायदा उन्हें ट्रैफिक व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। थाने-चौकी बुलाकर उन्हें पुलिस के काम करने का तरीका समझाया गया था।