नेपाल से सटे जंगल की निगरानी के लिए वन विभाग को मिली राफ्ट, चौकियों की भी मरम्मत
नेपाल से सटे जंगल की निगरानी के लिए वन विभाग को अब उफनाती शारदा नदी पार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीएफओ द्वारा रेंज को रिवर राफ्ट उपलब्ध करा दी गई है। फिलहाल एक्सपर्ट द्वारा वनकर्मियों को राफ्ट चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : नेपाल से सटे जंगल की निगरानी के लिए वन विभाग को अब उफनाती शारदा नदी पार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीएफओ द्वारा रेंज को रिवर राफ्ट उपलब्ध करा दी गई है। फिलहाल एक्सपर्ट द्वारा वनकर्मियों को राफ्ट चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, तराई केंद्रीय वन प्रभाग व हल्द्वानी डिवीजन अपनी रेंजों में मौजूद सालों से बदहाल पड़ी वन चौकियों को सुधारने में जुटा है। हाल में प्रस्ताव पास होने के बाद काम शुरू कर दिया गया है।
हल्द्वानी डिवीजन की शारदा रेंज का हिस्सा टनकपुर में शारदा नदी के पार भी पड़ता है। नेपाल से सटे इस इलाके में भारत का पचास हेक्टेयर जंगल पड़ता है। लाकडाउन के दौरान जब नेपाल ने अपने रास्तों को बंद किया तो इस जंगल में निगरानी को लेकर परेशानी खड़ी हो गई। आमतौर पर वनकर्मी ब्रहृमदेव मंडी के रस्ते नेपाली वन समिति और स्थानीय पुलिस से अनुमति लेकर दस किमी का सफर तय कर गाड़ी से गश्त पहुंचते थे।
मगर पड़ोसी देश की सीमा सील होने से इस मार्ग का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लग गया। ऐसे में वनकर्मी ट्यूब के रास्ते एक किमी उफनाती शारदा नदी को पार करने का जोखिम उठा रहे थे। इसके अलावा नेपाल निवासी बीट वाचर करमबीर कार्की की मदद ली जा ही थी। स्टाफ की परेशानी को देखते हुए डीएफओ कुंदन कुमार सिंह ने 15 अक्टूबर को एक रिवर राफ्ट मुहैया करवा दी। वहीं, रेंजर महेश बिष्ट ने बताया कि राफ्ट में एक बार में आठ लोग जा सकते हैं। अब गश्त करने में सहूलियत होगी।
टपकती चौकियों से मिली निजात
तराई के जंगलों में स्थित वन चौकियां लंबे समय से बदहाल पड़ी है। छह लीक, टूटते दरवाजों की वजह से बारिश के मौसम में चौकी में तैनात लोगों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता था। वहीं, जंगल क्षेत्र में होने के कारण वन्यजीवों का खतरा भी पैदा हो रहा था। कर्मचारियों की समस्या को देखते हुए डीएफओ डॉ. अभिलाषा सिंह ने डिवीजन की अधिकांश रेंज की चौकियों का जीर्णोद्वार शुरू करवा दिया। मरम्मत कराने के बाद पेंट आदि करा इन्हें बेहतर बना दिया गया है।