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गौला में खनन शुरू कराने को लेकर वन विभाग तैयार, निगम को चार दिन पहले भेजा पत्र

गौला में खनन शुरू कराने को लेकर वन विभाग ने वन निगम को चार दिन पहले पत्र भेज दिया है। विभाग का दावा है कि उसके स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बस नदी में खनन शुरू करने की तारीख वन निगम को फाइनल करनी है।

By Edited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 08:46 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:52 PM (IST)
गौला में खनन शुरू कराने को लेकर वन विभाग तैयार, निगम को चार दिन पहले भेजा पत्र
गौला में खनन शुरू कराने को लेकर वन विभाग तैयार, निगम को चार दिन पहले भेजा पत्र!

हल्द्वानी, जेएनएन : गौला में खनन शुरू कराने को लेकर वन विभाग ने वन निगम को चार दिन पहले पत्र भेज दिया है। विभाग का दावा है कि उसके स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बस नदी में खनन शुरू करने की तारीख वन निगम को फाइनल करनी है। हालांकि कांटों के विवाद के अलावा अन्य काम पूरे नहीं होने से वन निगम अभी भी असमंजस में पड़ा है। ऐसे में गौला का जल्द खुलना मुश्किल लग रहा है।

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कोरोनाकाल की वजह से सरकार भी आर्थिक संकट से गुजर रही है। जिस वजह से पूर्व में हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि एक अक्टूबर से खनन सत्र शुरू करवा दिया जाए। इसमें गौला, नंधौर के अलावा कोसी व दाबका नदी भी शामिल थी, मगर अधूरी तैयारियों के कारण वन निगम उपखनिज की निकासी शुरू नहीं करवा सका। वन निगम को अभी धर्मकांटों के अलावा निकासी गेटों पर कक्ष, उपकरण आदि भी उपलब्ध कराने हैं। वहीं, कांटा संचालकों से विवाद के चलते भी मामला उलझा हुआ है।

इधर, डीएलएम वाइके श्रीवास्ताव ने बताया कि मुख्यालय स्तर से फैसले का इंतजार है। एक लाख लोगों को इंतजार गौला में 7500 वाहनों का संचालन किया जाता है। एक हजार बुग्गियों से भी उपखनिज निकाला जाता है। श्रमिक, चालक, हेल्पर, ठेकेदार, मजदूर, मैकेनिक, पा‌र्ट्स कारोबारी से लेकर क्रशर आदि में काम करने वाले करीब एक लाख लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर गौला के जरिये आठ माह के लिए रोजगार हासिल करते हैं। ऐसे में सभी रोजगार फिलहाल ठप पड़ा है। वन विभाग के स्तर से सभी काम पूरे कर लिए गए हैं।

रेंजर आरपी जोशी का कहना है कि वन निगम को पत्र भी भेज दिया गया है। अब आगे का फैसला वन निगम के अफसरों को लेना है। डीएलएम वाइके श्रीवास्तव का कहना है कि गौला निकासी गेटों पर कांटों को लेकर मामला अभी अटका है। मुख्यालय स्तर से इस पर निर्णय लिया जाना है। वन निगम को स्थानीय स्तर पर तैयारियां करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।


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