हमारे चैन की खातिर तुमने नींद भी खो दी है पापा
साहित्य सृजन सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
By Edited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 05:19 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : साहित्य सृजन सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान पारंपरिक कुमाऊंनी परिधानों में सजकर युवक-युवतियों ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। साथ ही विमला जोशी की कविता हमारे चैन की खातिर तुमने नींद भी खो दी है पापा, चिट्ठियां यूं बांचते हुए मां भी रो दी है पापा ने जहां श्रोताओं की आंखों को नम किया। वहीं भुवनेश बिष्ट ने वतन की खातिर जान देने की यहां परंपरा है पुरानी सुनाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। रविवार को नवाबी रोड स्थित एक धर्मशाला परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि डॉ. बीना मथेला एवं विशिष्ट अतिथि भोलादत्त भट्ट ने मां सरस्वती के चित्र के आगे दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विजय कुमारी मुक्ता ने वो मेरे जीवन की थाती है जैसे दिया संग बाती है, विद्या महतोलिया ने मुझे तो एक रंग अपने प्यार का लगा दे, विपिन चंद्र पांडेय ने ईद-दीवाली सब मिलकर मनाएं, गुरुद्वारे सब शीश नवाएं आदि कवियों ने कविता पाठ कर दर्शकों को खूब रोमांचित किया। इससे पहले आध्यात्मिक गुरु नमन कृष्ण महाराज एवं उच्च शिक्षा निदेशक प्रोफेसर पीसी बाराकोटी की उपस्थिति में साहित्यकार डॉ. प्रमोद गोल्डी व पीतांबर जोशी (चेतक) को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर संस्था अध्यक्ष पुष्पलता जोशी, भुवन चंद्र कांडपाल, गौरी मिश्रा, गोविंद कश्यप वीरा, गोपाल दत्त सती, एपी चौधरी, जगदीश चंद्र कर्नाटक, लतेश मोहन, जीवन सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
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