हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली और समझें फाइव एस फाॅर्मूला NAINITAL NEWS
हार्ट अटैक कॉमन समस्या हो गई है। पहले उम्रदराज में ही यह बीमारी हुआ करती थी लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों ने अपनी जीवनशैली ही खराब कर दी है।
हल्द्वानी, जेएनएन : हार्ट अटैक कॉमन समस्या हो गई है। पहले उम्रदराज में ही यह बीमारी हुआ करती थी, लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों ने अपनी जीवनशैली ही खराब कर दी है। जगदंबा हार्ट केयर सेंटर के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश पंत कहते हैं, अगर आप हार्ट अटैक के खतरे को कम करना चाहते हैं तो फाइव एस फार्मूला समझें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। डॉ. पंत रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में परामर्श दे रहे थे। उन्होंने लोगों को दवाइयों के प्रति भी जागरूक रहने की सलाह दी।
जानें फाइव एस फार्मूला, जो दिल के लिए ठीक नहीं
शुगर : शुगर अनियंत्रित होने पर डायबिटीज का खतरा।
साल्ट : नमक का सेवन बढ़ा तो बीपी का खतरा।
सिडेंट्री लाइफ स्टाइल : यानी कि निष्क्रिय जीवनशैली।
स्ट्रेस : तनाव हृदय रोग को बढ़ाने का मुख्य कारण।
स्मोकिंग : धूमपान, एल्कोहल भी बीमारी बढ़ाने का बड़ा कारण
बीमारी के लिए ये भी जिम्मेदार
बीपी, शुगर के अलावा कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन भी हार्ट अटैक का कारण है। डॉ. पंत का कहना है, आनुवांशिक कारण से भी हार्ट अटैक का खतरा रहता है। पर्यावरण प्रदूषण से बीमारी बढ़ती है।
ऐसे जानें लक्षण
- छाती का दर्द बांई तरफ जाना
- चलने में भी छाती में दर्द होना
- तेज-तेज दर्द होना
- दर्द के साथ पसीना होना
- घबराहट व घुटन महसूस होना
डॉक्टर की सलाह पर कराएं जांच
डॉ. पंत कहते हैं कि इस समय जिस तरह की जीवनशैली और खानपान हो गया है, ऐसे में समय-समय पर 25-30 साल के बाद शरीर की बेसिक हेल्थ स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए। आगे डॉक्टर की सलाह पर ही एडवांस जांच कराने की जरूरत पड़ेगी।
हार्ट अटैक पड़ गया तो क्या करें
अगर किसी को हार्ट अटैक पड़ गया तो आप उसे तत्काल सोरबिट्रेट या फिर डिस्प्रिन दे सकते हैं। सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रेसिस्यूएशन) भी दिया जा सकता है, लेकिन आप यह तभी करें, जब मूर्छित होने के बाद पल्स व बीपी न आ रहा हो। तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराएं।
हार्ट में ब्लॉकेज के लिए सीटी एंजियो
हृदय में खून की नसों में कितना ब्लॉकेज है, इसका पता सीटी एंजियो के जरिये संभव है। इसमें नसों के जरिये तार नहीं डालना पड़ता है। नार्मल एंजियोग्राफी में हाथ या पांव की नसों से तार दिल तक डाला जाता है। इससे हार्ट की नसों में ब्लॉकेज पता किया जाता है। अगर स्टंट डालना हो तो भी इसी विधि से एंजियोप्लास्टी की जाती है।
तेजी से बढ़ रही है बीमारी
डॉ. पंत कहते हैं कि भारत में 1990 में 19 फीसद मौत हार्ट डिजीज से होती थी, लेकिन अब 29 फीसद से अधिक होती है। यह तथ्य जर्नल में भी प्रकाशित हैं। युवाओं में भी यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
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