जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Smuggler Arrested with Pangolin वन विभाग ने पैंगोलिन की शल्क के साथ पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। दो आरोपित हल्द्वानी और तीन हरिद्वार जिले से पकड़े गए। इनके कब्जे से 13 किलो से ज्यादा शल्क (खाल) बरामद हुई है। काल डिटेल के आधार पर कुछ संदिग्धों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
तराई केंद्रीय डिवीजन के एसओजी प्रभारी कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि गुरुवार रात हल्द्वानी में भाखड़ा पुल के पास से जसपुर निवासी गनपत सिंह और बिजनौर निवासी राधाकृष्ण को गिरफ्तार कर लिया। इनसे ढाई किलो शल्क मिली।
हरिद्वार से भी दबोचा
पूछताछ के दौरान हरिद्वार के दादूबाड़ा निवासी ओमप्रकाश के बारे में सूचना मिली। जिसके बाद हल्द्वानी से रवाना हुई टीम ने शुक्रवार शाम हरिद्वार रोडवेज स्टेशन के पास से उसे पकड़ लिया।
बाद में टीम ओमप्रकाश को लेकर कलियर के पास पहुंची। जहां दो अन्य तस्कर पवन और सतबीर को गिरफ्तार कर साढ़े दस किलो शल्क बरामद कर ली। आरोपितों को हल्द्वानी लाया गया है। दोपहर बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा।
रुड़की रेंज में हुआ शिकार
वन विभाग की पूछताछ में पता चला कि वन विभाग की रुड़की रेंज के काकड़बारा में पैंगोलिन का शिकार किया गया था। शल्क का इस्तेमाल दवा बनाने में किया जाता है। जिस वजह से तस्करी की घटनाएं लगातार बढ़ रही है।
शर्मीला होता है पैंगोलिन
सबसे बड़ी हैरानी की बात ये भी है कि इस जानवर से किसी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। ये जानवर बेहद शर्मिला होता है और इंसानों की नजरों में आने से पहले ही भाग लेता है।
पैंगोलिन अपना आशियाना ज्यादातर जमीन के नीचे बिल बनाकर या फिर सूखे और खोखले हो चुके पेड़ों में बनाता है। लेकिन पैसों के लालच में तस्कर इसकी जान को नहीं बख्शते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है व्यापार
पैंगोलिन का अवैध व्यापार ज्यादातर एशिया में ही होता है। इसके अलावा अफ्रीका में भी इसका व्यापार होता है। पैंगोलिन की खाल से लेकर मांस तक की कीमत हजारों में होती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी खाल की कीमत 24 हजार रुपये किलो तक है। ये केरोटिन की बनी होती है। यह खाल दूसरे जानवरों से बचाव में उसकी रक्षा भी करती है।
पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है। इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं। पैंगोलिन नाम मलय शब्द पेंगुलिंग से आया है, जिसका अर्थ है जो रोल करता है।
विलुप्त का है खतरा
तस्करी की वजह से पैंगोलिन पर अब विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है। इसकी वजह एक ये भी है कि कुछ देशों में इसको लेकर नियम अलग और बेहद लचीले हैं।
आंकड़े बताते हैं कि 2010 और 2015 में पैंगोलिन की तस्करी के करीब 89 मामले सामने में आए थे, लेकिन इनमें से अधिकतर पर कार्रवाई ही नहीं हुई। जिनपर कार्रवाई हुई भी तो उन्हें मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।