नैनी झील के पानी की गुणवत्ता खराब कर रहीं और भूस्खलन का कारण बनने वाले मछलियाें का निकाला जाएगा
Nainital lake is in danger पंतनगर विवि की ओर से नैनी झील का सर्वे करने के बाद संतुलन बिगाड़ रही मछलियों को निकालने और नई प्रजाति की मछलियों को छोड़ने के लिए प्रोजेक्ट बनाया गया था। डीएम ने प्रोजेक्ट के लिए 26 लाख की स्वीकृति दी है।
नरेश कुमार, नैनीताल : नैनी झील की सेहत के लिए खतरा बन चुकी कॉमन कार्प समेत अन्य मछलियां अब झील से निकाली जाएंगी। साथ ही जलीय संतुलन बनाए रखने के लिए झील में नई प्रजातियों की मछलियों को भी छोड़ा जाएगा। पंतनगर विवि दो वर्ष तक झील में चरणबद्ध तरीके से कार्य करेगा।
पहले फेज में झील की वॉटर क्वालिटी, उसमें मछली प्रजातियों की उपलब्धता जांचने समेत अन्य परीक्षण किए जाएंगे। प्रोजेक्ट संचालन को डीएम ने 26 लाख की वित्तीय स्वीकृति दे दी है। जिला विकास प्राधिकरण से बजट जारी होते ही जल्द परियोजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
बता दें कि पर्यटन लिहाज से समृद्ध नैनी झील की नैसर्गिक सुंदरता को देखने के लिए ही देश विदेश से हर वर्ष हजारों पर्यटक यहां पहुंचते हैं। मगर बीते कुछ वर्षों में झील का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। नालों से लगातार झील तक पहुंच रहे मलबे और कचरे से जहां झील में गाद बढ़ रही है। वहीं झील के भीतर पूर्व में डाली गई मछलियों का संतुलन बिगड़ने से वॉटर क्वालिटी गिरने जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।
समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन के निर्देशों के बाद पंतनगर विवि की ओर से नैनी झील का सर्वे करने के बाद संतुलन बिगाड़ रही मछलियों को निकालने और नई प्रजाति की मछलियों को छोड़ने के लिए प्रोजेक्ट बनाया गया था। प्रोजेक्ट पर डीएम धीराज गर्ब्याल ने 26 लाख की वित्तीय स्वीकृति देते हुए जल्द कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
दो वर्ष तक चरणबद्ध तरीके से होगा कार्य
पंतनगर विवि के डॉ आशुतोष मिश्रा ने बताया कि परियोजना पर दो वर्ष तक चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा। इससे पूर्व वर्ष 18-19 में झील का सर्वे किया जा चुका है। जिससे मिले आंकड़ों में अब बेहद बदलाव हो चुका होगा।
प्रोजेक्ट के तहत पहले फेज में नैनी झील के पानी की गुणवत्ता का मापन किया जाएगा। साथ ही झील में मौजूद विभिन्न प्रजातियों की मछलियों की उपलब्धता की जांच की जाएगी। दूसरे चरण में जरूरत से अधिक हो चुकी मछलियों को झील से निकाला जाएगा। साथ ही झील की पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ नई प्रजाति की मछलियों को झील में छोड़ा जाएगा।
झील में कॉमन कार्प का बढ़ता कुनबा बढ़ा रहा समस्या
डॉ आशुतोष मिश्रा ने बताया कि जलीय पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए झील में 15 प्रजातियों महाशीर, बिगहैड, स्नोट्राउट, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, गंबूसिया के साथ ही कॉमन कार्प मछली भी छोड़ी गई थी। मगर इसकी संख्या अब बहुत अधिक हो गई है।
बीते सर्वे के मुताबिक झील में कॉमन कार्प मछली का प्रतिशत 60 फ़ीसदी से अधिक है। जो झील की पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहा है। कॉमन कार्प मछली की अधिकता के कारण झील में नाइट्रोजन और फास्फोरस का लेवल बढ़ रहा है। जिससे वॉटर क्वालिटी में गिरावट आ रही है।
भूधंसाव का कारण भी हो सकती है कॉमन कार्प
डॉ आशुतोष मिश्रा ने बताया कि नैनी झील के किनारों की सुरक्षा दीवारों पर लगातार धंसाव हो रहा है। जिसका एक उत्तरदाई कारण कॉमन कार्प मछली भी हो सकती है। कॉमन कार्प मिट्टी को कुरेद कर भोजन की तलाश करती है।
झील में कॉमन कार्प का प्रतिशत बढ़ने के कारण झील के किनारों को नुकसान पहुंच रहा है। जो कि भूस्खलन का एक अहम उत्तरदाई कारण हो सकता है। जिस कारण कॉमन कार्प को झील से निकाल कर संतुलन बनाये रखना जरूरी हो गया है।
डीएम नैनीताल धीराज गर्ब्याल ने बताया कि झील की वॉटर क्वालिटी बेहतर करने और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने को लेकर दो वर्ष तक पंतनगर विश्वविद्यालय एक प्रोजेक्ट पर कार्य करेगा। प्रोजेक्ट संचालन को लेकर 26 लाख की वित्तीय स्वीकृति दे दी गई है। बजट जारी होते हैं जल्द कार्य शुरू कर दिया जाएगा।