उतराखंड की नदियों में निकासी की फाइल केंद्र पहुंची, लॉकडाउन से नहीं निकल पाया था माल
प्रदेश में सरकार की इनकम का सबसे बड़ा जरिया खनन लॉकडाउन की वजह से इस बार संकट में आ गया।
हल्द्वानी, जेएनएन : प्रदेश में सरकार की इनकम का सबसे बड़ा जरिया खनन लॉकडाउन की वजह से इस बार संकट में आ गया। गाइडलाइन के मुताबिक वन निगम नदियों में 31 मई बाद चुगान नहीं कर सकता। जिस वजह से रविवार को काम बंद कर दिया गया। चार दिन पहले शासन ने केंद्र को पत्र भेज निकासी को लेकर और अनुमति मांगी थी। सूत्रों की माने तो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में यह फाइल पहुंच चुकी है। शासन पुरजोर पैरवी में जुटा है। संभावना है कि जल्द इसमें सकारात्मक निर्णय आएगा।
शारदा, नंधौर, गौला, दाबका के अलावा गढ़वाल की कई नदियों से उपखनिज निकासी की जाती है। लॉकडाउन के दौरान एक माह तक काम ठप रहा। उसके बाद सत्र खोला तो गया लेकिन मजदूरों की कमी व अन्य वजहों से नदी से पूरा उपखनिज नहीं उठ सका। नदी बंद होने से पहले ही शासन द्वारा केंद्रीय मंत्रालय को पत्र लिख कहा गया था कि बकाया माल को निकालने की अनुमति दी जाए।
वन निगम के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने स्वयं इस मामले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर से बात की है। वहीं, लॉकडाउन के दौर में तमाम तरह के काम ठप पड़ चुके हैं। ऐसे में रोजगार व सरकारी आय के लिए बकाया माल को उठाने की जरूरत भी है।
बारिश दिक्कत पैदा करेगी
इस बार गौला, नंधौर व शारदा नदी से करीब 32 लाख घनमीटर माल निकला है। करीब दस लाख घनमीटर ज्यादा तीन नदियों में बचा हुआ है। 15 जून से मानसून का दौर शुरू हो जाएगा। निकासी को लेकर बारिश का सीजन दिक्कत पैदा कर सकता है। 15 जून के बाद निजी पट्टों पर भी रोक लग जाती है।
गौला में पांच साल का राजस्व
:2014-15-एक अरब 44 करोड़ 90 लाख 6 हजार 857
:2015-16-एक अरब 64 करोड़ 81 लाख 14 हजार 925
:2016-17-एक अरब 69 करोड़ 87 लाख 23 हजार 789
:2017-18-एक अरब 99 करोड़ 88 लाख 82 हजार 550
:2018-19-एक अरब 79 करोड़ 77 लाख 83 हजार 561
नंधौर में पांच साल का राजस्व
2014-15-42 करोड़ 96 लाख 45 हजार 850
2015-16-29 करोड़ 67 लाख 608
2016-17 में नंधौर में खनन बंद रहा
2017-18-नौ करोड़ 89 लाख 68 हजार 456 (सिर्फ डेढ़ माह नदी चली)
2018-19-43 करोड़ 67 लाख 74 हजार 900 (पूरा उपखनिज नहीं उठा)
नदियों में काफी उपखनिज बचा है
मोनिष मलिक, एमडी वन निगम ने बताया कि उत्तराखंड की नदियों में काफी उपखनिज बचा है। शासन स्तर से भेजा गया प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति पर टिका है। उम्मीद है कि जल्द इस पर फैसला होगा।
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