नासा में चयनित हुए बेटे की पढ़ाई के लिए पिता ने पत्नी के जेवर रख दिए थे गिरवी
उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के सितारगंज निवासी गुरजीत सिंह का चयन दुनिया सबसे बड़ी संस्था नासा के लिए हुआ है। उनकी पत्नी और बच्चे को भी अमेरिका का बीजा मिला है। गुरजीत की उपलब्धि पर गांव में जश्न का माहौल है। परिवार बेटे की उपलब्धियों पर गदगद है।
जेएनएन, अविनाश श्रीवास्तव : उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के सितारगंज निवासी गुरजीत सिंह का चयन दुनिया सबसे बड़ी संस्था नासा के लिए हुआ है। उनकी पत्नी और बच्चे को भी अमेरिका का बीजा मिला है। गुरजीत की उपलब्धि पर गांव में जश्न का माहौल है। परिवार बेटे की उपलब्धियों पर गदगद है। बधाई देने वालों का तांता लगा है।
हर पिता की आंखों में यह सपना होता है कि जिंदगी में जो मुकाम वह हासिल नहीं कर पाए वह बेटा हासिल कर समाज में नाम रोशन करें। लेकिन बहुत ही कम ऐसे माता-पिता होते हैं जिनका यह सपना साकार हो पाता है। ऐसे ही एक पिता शहर सितारगंज स्थित सिसैया निवासी सुरजीत सिंह हैं, जिनके सपने को बेटे ने न सिर्फ पूरा किया बल्कि परिवार और देश-प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन किया। बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने में पिता सुरजीत ने भी किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। गुरजीत की शिक्षा के दौरान एक समय ऐसा भी आया कि उनके पिता ने अपनी धर्मपत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए लेकिन बेटे की शिक्षा के बीच परिस्थितियों को आड़े नहीं आने दिया।
खेलने कूदने की उम्र में खुद की पहचान बनाने की ठानी
गुरजीत ने खेलने कूदने की उम्र में ही अपनी एक अलग पहचान बनाने की ठानी। शुरू से वे अपनी पढ़ाई व परिवार के जिम्मेदारियों के प्रति सदैव संजीदा रहे। गुरजीत ने वर्ष 2003 में जीआईसी सितारगंज से इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2009 में गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक किया। वर्ष 2011 में आईआईटी खड़कपुर से एमटेक की डिग्री हासिल कर आईआईटी भुवनेश्वर से पीएचडी की, इसी दौरान उन्होंने नासा अमेरिका के लिए इंटरव्यू क्वालीफाई कर लिया।
बड़ी बहन प्रोफेसर व छोटा भाई आईटीआई
गुरजीत के छोटे भाई बलजीत ने बीयू चंडीगढ़ से वर्ष 2014 में बीटेक करने के बाद वर्ष 2017 में आईआईटी रुड़की से एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने नौकरी करने की जगह खुद का स्टार्टअप शुरू कर कई लोगों को रोजगार देने की ठानी और आज वह अपनी सोच को लेकर सफल है। वही गुरजीत की बड़ी बहन सुरेंद्र कौर जिला अल्मोड़ा के साल्ट में प्रोफेसर के तौर पर तैनात हैं।