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पहाड़ पर बंजर भूमि को बनाया जा रहा उपजाऊ, जड़ी-बूटी के साथ फलों की खेती कर रहे किसान

उत्तराखंड के गांवों में फिर से रौनक आने लगी है। पुराने घर फिर से संवरने लगे हैं। वहीं सरकार अब गांवों में रहकर लोगों की आर्थिकी सुधारने में लगी हुई है। पलायन को रोकने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 12:41 PM (IST)
पहाड़ पर बंजर भूमि को बनाया जा रहा उपजाऊ, जड़ी-बूटी के साथ फलों की खेती कर रहे किसान
कपकोट तहसील के उच्च हिमालय से सटे गांवों में जड़ी-बूटी आधारित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

बागेश्वर, घनश्याम जोशी : उत्तराखंड के गांवों में फिर से रौनक आने लगी है। पुराने घर फिर से संवरने लगे हैं। वहीं सरकार अब गांवों में रहकर लोगों की आर्थिकी सुधारने में लगी हुई है। पलायन को रोकने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। कृषि पर पूरा फोकस है और विभिन्न योजनाओं के जरिए बंजर भूमि का विकास करने में सरकारी सिस्टम लगा हुआ है।

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कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बागेश्वर जिले में करीब 60 हजार से अधिक युवा महानगरों से लौट आए हैं। वह इसबीच गांवों में रहने लगे हैं। जिससे गांवों में रौनक आ गई है और पैतृक मकानों को सजाने और संवारने का काम भी शुरू हुआ है। स्वरोजगार के लिए सरकार की योजनाओं का उन्हें लाभ भी मिलने लगा है। जिले के कपकोट तहसील के उच्च हिमालय से सटे गांवों में जड़ी-बूटी आधारित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, गरुड़ क्षेत्र में आजीविका के माध्यम से महिला समूहों का गठन किया गया है और वह किसानों की फसल का बाजार मुहैया करा रहे हैं।

इन गांवों में हो रहा काम

कपकोट के बदियाकोट और कर्मी में बंजर भूमि का विकास किया जा रहा है। जिसमें वन हल्दी लगाई गई है। 14 समूह यहां काम रहे हैं। गत वर्ष 1.25 लाख रुपये की हल्दी किसानों ने भेषज संघ को विपणन की। झूनी और कीमू में कुटकी की खेती हो रही हो रही है। 25 नाली बंजर भूमि पर नर्सरी तैयार की गई है। शामा और बदियाकोट में कीवी, सेव, अखरोट की खेती समूह के माध्यम से की जा रही है। इसके अलावा शामा में तेजपत्ता, चुचेर में लेमनग्रास हो रही है।

पशुपालन पर फोकस

सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत डेयरी और पशुपालन सेक्टर में भी काम हो रहा है। पशुपालन और डेयरी विभाग इस पर काम कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। गरुड़ में नाशपाती की ग्रेडिंग की जा रही है और उसे हल्द्वानी मंडी तक पहुंचाया जा रहा है।

मनरेगा से रोजगार मिला

पलायन रोकने के लिए मनरेगा योजना भी कारगर साबित हुई है। जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो रहा है। इसके अलावा गांवों में बिजली, स्वच्छता, आवास, चिकित्सा, सड़क, संचार जैसी अनेक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

युवाओं का किया जाए प्रोत्साहित

वैज्ञानिक डा. रमेश बिष्ट ने कहा कि गांवों से पलायन को रोकने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जिला और शहर में होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को गांव तक ले जाना होगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने के लिए पारंपरिक खेती पर काम होना जरूरी है। वैज्ञानिक तरीके से कृषि करने के लिए युवाओं को ट्रेड करना होगा। जंगली जानवरों के नियंत्रण की योजना बनानी होगी। पहाड़ में खेती के लिए लोगों के पास जमीन कम है, जिसे बढ़ाने के लिए चकबंदी आदि की व्यवस्था करनी होगी।

क्या कहते हैं अधिकारी

प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी डीडी तिवारी ने कहा कि पलायन रोकने के लिए सरकार की तरफ से संचालित योजनाओं को धरातल पर उतार दिया गया है। कृषि, पशुपालन पर काम किया जा रहा है। वन हल्दी, तेजपत्ता, कीवी, सेव, अखरोट और कुटकी की उपज महिला समूहों के जरिए ली जा रही है।


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