सितारगंज में शाहजहांपुर की एसकेएल कम्पनी की आड़ में चल रहा था फर्जी रायल्टी का कारोबार, बरामद लैपटॉप से खुला राज
टीम ने आरोपित निवासी ग्राम बरौती थाना धूरपुर इलाहाबाद निवासी शिवाकांत शुक्ला पुत्र ओमनारायण को हिरासत में ले लिया। आरोपित के कब्जे से टीम को मोबाइल मिला। टीम ने जब आशीष पांडेय के कब्जे से मिले लैपटाप को खोला तो उसमें उत्तराखंड सरकार की राजकीय सम्पत्ति ई रवन्ना मिला।
जागरण संवाददाता, सितारगंज (ऊधमसिंह नगर) : फर्जी रायल्टी यानि ई-रवन्ना बनाने वाले आरोपितों के खिलाफ उपनिर्देशक खनन ने मुकदमा दर्ज करा दिया है। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से लैपटाप के अलावा बहुत से स्टोन क्रशरों की पर्चिया, कोडवर्ड के साथ वाहन व चालकों के नम्बर लिखा रजिस्टर भी बरामद किया है।
पुलिस को दी तहरीर में उपनिदेशक खनन दिनेश कुमार ने बताया कि 11 अगस्त को फर्जी रायल्टी बनाने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद एसडीएम तुषार सैनी की संयुक्त टीम शक्तिफार्म तिराहे से सिडकुल रोड की तरफ जाने वाले एक दो मंजिला मकान में छापेमारी की। कमरे में संदिग्ध लैपटाप पर कुछ काम कर रहा था। टीम को देखते ही आरोपित निवासी ग्राम मेजा इलाहाबाद निवासी आशीष पांडेय पुत्र त्रिवेणी प्रसाद लैपटाप को छिपाने लगा। टीम ने लैपटॉप को कब्जे में ले लिया।
इसके बाद टीम ने आरोपित निवासी ग्राम बरौती, थाना धूरपुर इलाहाबाद निवासी शिवाकांत शुक्ला पुत्र ओमनारायण को हिरासत में ले लिया। आरोपित के कब्जे से टीम को मोबाइल मिला। टीम ने जब आशीष पांडेय के कब्जे से मिले लैपटाप को खोला तो उसमें उत्तराखंड सरकार की राजकीय सम्पत्ति ई रवन्ना मिला। जिसे रखने के लिये आरोपित आशीष पांडेय अधिकृत नही था। लैपटाप में फीड ई-रवन्ने की छायाप्रति से किसी को भी फर्जी रायल्टी निकालकर दी जा सकती थी। टीम ने आरोपितों के बिस्तर की तलाशी तो वहां से बहुत से स्ट्रोन क्रशरों की रायल्टी, भार पर्चियां, एक रजिस्टर बरामद हुआ।
रजिस्टर में कोडवर्ड के साथ चालक, वाहनों के नम्बरों के अलावा लेनदेन के खर्च का विवरण अंकित था। उपनिर्देशक खनन ने पुलिस को बताया कि आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि वह शाहजहापुर की एसकेएल ट्रास्पोर्ट के लिये काम करते है। कम्पनी ने ही उन्हें लैपटाप दिया है। लैपटाप के जरिये वह रजिस्टर में दर्ज गाड़ियों के नंबर, ई-रवन्ना यानि खनन रायल्टी जारी करते है। पुलिस ने आरोपित आशीष पांडेय व शिवाकांत शुक्ला के खिलाफ धारा 420, 467, 471, 468 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पिछले साल नवम्बर में ही खुल सकता था खेल
पिछले साल नवम्बर माह में पुलिस ने एसकेएल ट्रांसपोर्ट के पांच वाहनों को जांच के लिये रोका था। चालक पुलिस टीम को देख मौके से फरार हो गये थे। पुलिस ने उपखनिज से लदे पांचों वाहनों को लावारिश में दर्ज कर वन विभाग की सुपुर्दगी में दे दिया। वाहनों से पुलिस को रायल्टी नही मिली थी। इसके बाद खनन वाहनों को वन विभाग ने बिना जांच पड़ताल के जुर्माने पर छोड़ दिया। जिस वजह से फर्जी रायल्टी का मामला अफसरों की पकड़ में नही आ सका।
फर्जी रायल्टी के जरिये अवैध खनन तस्करी का कारोबार लम्बे समय से चल रहा है। जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नही लग सकी। जबकि पिछले साल नवम्बर माह में पुलिस ने एसकेएल ट्रांस्पोर्ट के पांच खनन लदे वाहनों को बरामद किया था। चालकों के भाग जाने पर पुलिस ने वाहनों पर लावारिश की कार्रवाई की कर दी। जिसके बाद पुलिस ने पांचों अवैध खनन के मानते हुये वनविभाग के सुपुर्द कर दिये। वनविभाग ने वाहनों से जुर्माना वसूलकर उन्हें छोड़ दिया। लेकिन माफियाओं ने खनन कहां से चुराया व खनन से जुड़े प्रपत्रों की जांच नही की।
सिडकुल चौकी इंचार्ज चंदन सिंह बिष्ट ने बताया कि नवम्बर माह में उन्होंने एसकेएल ट्रांस्पोर्ट के पांच खनन वाहनों को पकड़ा था। चालक मौके से भाग गये थे। वाहनों में रायल्टी नही थी। इसलिये उन्होंने वाहनों को लावारिश में दर्ज कर वनविभाग के सुपुर्द कर दिया। आगे की कार्रवाई वन विभाग ने की।