प्रदेश सरकारों ने लॉकडाउन में दी छूट तो शुरू हुआ रामगढ़ के आड़ू को निर्यात
महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना संक्रमण की दर कम होने और महाराष्ट्र सरकार द्वारा पाबंदियों में ढील देने के बाद नैनीताल के रामगढ़ के किसानों के अच्छे दिन आ गए हैं। आड़ू किसानों का आड़ू खेप मुंबई भेजने का सिलसिला तेज हो गया है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : महाराष्ट्र के मुंबई में कोरोना संक्रमण की दर कम होने और महाराष्ट्र सरकार द्वारा पाबंदियों में ढील देने के बाद नैनीताल के रामगढ़ के किसानों के अच्छे दिन आ गए हैं। आड़ू किसानों का आड़ू खेप मुंबई भेजने का सिलसिला तेज हो गया है। किसानों को इस बार पिछले सालों की अपेक्षा कम दाम मिल रहा है मगर स्थानीय बाजार में औनेपौने दाम में बेचने से मुक्ति मिलने लगी है।
रामगढ़ मुक्तेश्वर तथा धारी के कुछ इलाकों में आड़ू, पुलम की बम्पर पैदावार होती है। मई जून में पकने या लाल होने वाला रेड जून किस्म के आड़ू की देशभर में डिमांड है। इस बार कोरोना कर्फ्यू की पाबंदी तथा महाराष्ट्र में लॉकडाउन की वजह से आड़ू किसानों को घाटा उठाना पड़ा। आलम यह रहा कि स्थानीय बाजार में किसानों को महज पांच रुपये किलो आड़ू बेचना पड़ा। जबकि आड़ू की पेटी के बारदाना तथा पैकिंग आदि में ही इससे अधिक खर्च हो गया। इससे किसान बेहद निराश थे।
इस साल पहले सूखा, फिर ओलावृष्टि के कारण आड़ू के फूल झड़ने के साथ फल चोटिल हो गए थे। अब सप्ताह-दस दिन से आड़ू की खेप मुंबई के बाजार जाने लगी है। रामगढ़ के झुतिया के युवा किसान संजय साह के अनुसार इस वर्ष मुंबई में 10 किलो आड़ू की पेटी का रेट 600 से 800 रुपये मिल रहा है, जबकि पिछले वर्ष रेत 1000 से 1200 प्रति दस किलो पेटी था। मुंबई खेप जाने के बाद हल्द्वानी मंडी में भी दाम चढ़ने लगे हैं। संजय के मुताबिक रामगढ़ से रोजाना करीब दस गाड़ियां मुंबई भेजी जा रही हैं।
नहीं मिला नुकसान का मुआवजा
राज्य सरकार ने सूखे व ओलावृष्टि से नुकसान का आंकलन करने के निर्देश राजस्व, कृषि व उद्यान विभाग को दिए थे नुकसान का आंकलन कर भी रिपोर्ट भेज दी गई है मगर अब तक मुआवजा नहीं मिला। रामगढ़ के युवा सामाजिक कार्यकर्ता धीरज शर्मा के अनुसार मुआवजे को लेकर सरकार ने खूब बड़ी बातें की मगर किसानों को अब तक एक पाई भी नहीं मिला।
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