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खेल विभाग और कार्यदायी संस्‍था की तकरार में करोड़ों का स्‍पोर्ट्स काम्‍प्‍लेक्‍स खा रहा धूल

सरकार व खेल विभाग पर जिन युवाओं का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी होती है वही उनके भविष्य के साथ खेल रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 12:49 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 01:08 PM (IST)
खेल विभाग और कार्यदायी संस्‍था की तकरार में करोड़ों का स्‍पोर्ट्स काम्‍प्‍लेक्‍स खा रहा धूल
खेल विभाग और कार्यदायी संस्‍था की तकरार में करोड़ों का स्‍पोर्ट्स काम्‍प्‍लेक्‍स खा रहा धूल

हल्‍द्वानी, भानु जोशी : सरकार व खेल विभाग पर जिन युवाओं का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी होती है, वही उनके भविष्य के साथ खेल रहे हैं। आलम ये है कि करोड़ों रुपये का इंडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स बनने के बाद भी निर्माण एजेंसी व खेल विभाग की तकरार में फंस कर रह गया है, जबकि बास्केटबाल व वॉलीबाल कोर्ट का प्रस्ताव तीन साल से शासनस्तर पर धूल फांक रहा है।

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खेल सुविधाओं के नाम पर हल्द्वानी के खिलाड़ी अब तक ठगे ही जा रहे हैं। खेल विभाग प्रैक्टिस के लिए युवाओं को न तो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मानकों का स्टेडियम ही दे पा रहा है और न ही बेहतरीन कोच। खिलाडिय़ों को किराए के कोच व खेल मैदानों से काम चलाना पड़ रहा है। विभागीय अफसरों की काहिली का नतीजा ये है कि करीब साढ़े बारह करोड़ खर्च करने के बावजूद हल्द्वानी इंडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स का ताला तक नहीं खुल सका है। खेल विभाग निर्माण एजेंसी पर जहां कांप्लेक्स को सुपुर्द न करने का आरोप लगा रहा है, वहीं निर्माण एजेंसी ने विभागीय अफसरों पर जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया है। इस तकरार के चलते खिलाड़ी खेल की कई आधुनिक सुविधाओं से महरूम हैं।  

शासन का रोड़ा

वर्ष 2016-17 में हल्द्वानी स्पोट्र्स स्टेडियम के कायाकल्प के लिए करीब 14 करोड़ 82 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। स्वीकृति मिलने के बाद उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने काम शुरू किया। करीब साढ़े बारह करोड़ के बजट में निर्माण एजेंसी ने खेल छात्रावास, इंडोर स्पोट्र्स कांप्लेक्स तैयार भी कर लिया, मगर बकाया बजट शासन से आज तक नहीं मिल सका है। 2017 में भेजा गया हल्द्वानी स्पोट्र्स स्टेडियम में राष्ट्रीय मानकों का वॉलीबाल व बास्केटबाल कोर्ट बनाने का प्रस्ताव भी लटका पड़ा है।

ये कार्य अब भी अधूरा

आठ लेन का ट्रैक, दर्शक दीर्घा का विस्तार, पैवेलियन, घास बिछाने का काम, स्टेडियम का नया प्रवेश द्वार, ड्रेनेज सिस्टमराष्ट्रीय स्तर का फुटबाल स्टेडियम

ये सुविधाएं तीन मंजिला बिल्डिंग में कैद

चार बैडमिंटन कोर्ट, तीन स्क्वैश कोर्ट, जिम्नेजियम हॉल, एक टेबल टेनिस कोर्ट, कैंटीन

संस्‍था ने नहीं किया हैंडओवर

अख्तर अली, जिला खेल अधिकारी ने बताया कि कार्यदायी संस्था ने इंडोर स्पोट्रर्स कांप्लेक्स खेल विभाग को हैंडओवर नहीं किया है। हैंडओवर होने तक उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है।

विभाग ने नहीं दिखाई रुचि

सीके सकलानी, महाप्रबंधक, उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम  ने बताया कि इंडोर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का निर्माण कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। हमने इसे विभाग को सुपुर्द करना चाहा, मगर विभाग ने रुचि नहीं दिखाई।


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