आपदा प्रबंधन न्यूनीकरण केंद्र के अधिशासी निदेशक निलंबित, तीन सेक्शन अफसरों पर भी कार्रवाई
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र देहरादून के अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया गया है। तीन अन्य सेक्शन अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। मामले में अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़ा व इससे बनी कृत्रिम झील के मामले में बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर से शपथ पत्र के साथ बंद लिफाफे में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई। सूत्रों के अनुसार सरकार ने रिपोर्ट में बताया है कि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र देहरादून के अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया गया है। तीन अन्य सेक्शन अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। मामले में अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में कृत्रिम झील मामले में दिल्ली निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस बीच सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आपदा प्रबंधन सचिव को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी की थी। दिल्ली निवासी अजय गौतम ने जनहित याचिका में कहा था कि 2017 में गंगोत्री ग्लेशियर में कूड़े की वजह से पानी का बहाव अवरुद्ध हो गया और कृत्रिम झील बन गई। इससे कभी भी बड़ी आपदा आ सकती है।
सरकार ने पहले दाखिल जवाब में माना था कि झील बनी है, जबकि बाद में हेलीकाप्टर से सर्वे का हवाला देते हुए कहा था कि झील नहीं बनी है। वर्ष 2018 में कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए सरकार को तीन माह में इसकी निगरानी करने व छह माह में रिपोर्ट तलब किया था, मगर सरकार की ओर से कुछ नहीं किया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसपर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए आपदा प्रबंधन सचिव पर तल्ख टिप्पणी कर दी। इसके बाद सरकार ने तेजी दिखाते हुए जांच शुरू कराई और बुधवार को पूरी रिपोर्ट नैनीताल हाई कोर्ट में प्रस्तुत की।