सामान बेचने में हर प्रतिष्ठान कर रहा अनदेखी, शहर भर में हो रही अनियमितता, जानिए क्या हैं नियम
फेयरनेस क्रीम हो या फिर बार में रखा पैग मापर कोई भी मानक में फिट नहीं है। तमाम किराना व सब्जी विक्रेता भी ग्राहकों को तौल में चूना लगाने में पीछे नहीं हैं।
गणेश जोशी, हल्द्वानी : शहर में कोई प्रतिष्ठान ऐसा नहीं हैं, जहां मानक के अनुसार माप-तोल हो रहा हो। कथित ब्रांडेड कंपनी की आटे की थैली में रेट के अलावा न ही पैकिंग तिथि का उल्लेख है और न ही उत्पादन तिथि का। यही नहीं गुडग़ांव कंपनी की फेयरनेस क्रीम हो या फिर बार में रखा पैग मापर, कोई भी मानक में फिट नहीं है। तमाम किराना व सब्जी विक्रेता भी ग्राहकों को तौल में चूना लगाने में पीछे नहीं हैं। शहर के बाजार की यह हकीकत तब सामने आई, जब विधिक माप विज्ञान विभाग ने इस महीने व्यापक निरीक्षण अभियान चलाया। एक माह में ही शहर में इस तरह के 43 मामलों पर कार्रवाई की गई है। इसमें से नोटिस मिलने के बाद सहमे कुछ प्रतिष्ठानों ने जुर्माना भी भर दिया है।
ड्राई फ्रूट्स व दालों का हाल भी बेहाल
तमाम खाद्य उत्पादों में ड्राइ फ्रूट्स व दालें भी शामिल हैं। शहर के प्रमुख मॉलों में भी बिना मानक पूरा किए ऐसे उत्पाद धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। वरिष्ठ निरीक्षक शांति भंडारी ने बताया कि इन उत्पादों को केवल पॉलीथिन में पैक कर बेचने को रख दिया गया है, ऐसा करना ग्राहकों के साथ धोखा है। पैक्ड आइटम के बाहर पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। इसके अलावा मापन यंत्रों में गड़बड़ी को लेकर तीन बार, दो स्वर्णकारों, चार पेट्रोल पंपों पर भी जुर्माना लगाया है।
अस्पतालों में वेट मशीन पर की कार्रवाई
वरिष्ठ निरीक्षक शांति भंडारी ने शहर के 25 निजी अस्पतालों व क्लीनिकों का निरीक्षण किया। भंडारी ने बताया कि इसमें से अधिकांश अस्पतालों में डोमेस्टिक वेट मशीन लगी थी, जबकि नियम के अनुसार परसन वेईंग मशीन लगाई जानी चाहिए थी, जिनके पास दो से अधिक मशीनें थी, उन पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया और जिनके पास केवल एक मशीन थी, उन पर पांच हजार का जुर्माना लगाया गया है। कई अस्पताल संचालकों ने जुर्माना भी भर दिया है।
बंद पैकेट में इसका उल्लेख जरूरी
पैकर्स नेम
पैकिंग तिथि
पूरा वजन
वस्तु का नाम
कस्टमर केयर नंबर
उत्पादन तिथि
आइएमए ने कार्रवाई पर जताई कड़ी आपत्ति
आइएमए अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र पंत ने अस्पतालों व क्लीनिकों में विधिक माप विज्ञान विभाग की ओर किए जा रहे निरीक्षण को गलत ठहराते हुए कहा कि वेट मशीन आखिर अलग-अलग कौन सी होती है। दो-चार किलो अंतर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से पहले आइएमए पदाधिकारियों से वार्ता की जानी चाहिए थी। विधिक माप विज्ञान विभाग के डिप्टी कंट्रोलर जीएस रावत का कहना है कि अस्पतालों में कार्रवाई से पहले नोटिस दिया गया था। जब नोटिस के जवाब नहीं मिला, तब कार्रवाई की गई। यह रूटीन निरीक्षण के तहत कार्रवाई हुई है। कभी-कभी विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं।
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