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कुमांऊ के पहाड़ी जिलों में हर रोज होती है भूकंपीय हलचल, जोन फाइव में है एरिया

कुमांऊ के पहाड़ी जिलों से लेकर नेपाल तक मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरती है। इसलिए भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील इस क्षेत्र को जोन पांच रखा गया है। यहां हर रोज भूकंपीय हलचलें होते रहती है। दो रिक्टर स्केल से नीचे की तीव्रता दर्ज नही की जा सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 12:33 PM (IST)
कुमांऊ के पहाड़ी जिलों में हर रोज होती है भूकंपीय हलचल, जोन फाइव में है एरिया
कुमांऊ के पहाड़ी जिलों से लेकर नेपाल तक मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरती है।

बागेश्वर, चंद्रशेखर द्विवेदी : कुमांऊ के पहाड़ी जिलों से लेकर नेपाल तक मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरती है। इसलिए भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील इस क्षेत्र को जोन पांच रखा गया है। यहां हर रोज भूकंपीय हलचलें होते रहती है। दो रिक्टर स्केल से नीचे की तीव्रता दर्ज नही की जा सकती है। भू वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले चार साल में एमसीटी पर चार रिक्टर स्केल से बड़े 70 भूकंप आ चुके हैं। जिससे इसकी सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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प्रदेश के बागेश्वर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली, उत्तरकाशी से होकर नेपाल तक नेपाल तक मेन सेंट्रल थ्रस्ट गुजरती है। हिमालयी क्षेत्र में मेन सेंट्रल थ्रस्ट महान व लघु हिमालय के मध्य का क्षेत्र आता है। इस इलाके में सबसे अधिक भूकंपीय हलचलें होती है। यहां भूकंप का केंद्र 15 से 20 किमी गहराई में है। भू वैज्ञानिक रवि नेगी ने बताया कि मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रुप में जानी जाने वाली यह दरार 2500 किलोमीटर लंबी है और कई भागों में विभाजित 50 से 60 किमी चौड़ी है। शनिवार को आया भूकंप भी एमसीटी जोन में था। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव, टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती।

प्रदेश में 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली में 6 मैग्नीट्यूट तीव्रता से बड़े भूकंप आ चुके हैं। इसके बाद से कोई बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में नही आया है। इस जिलों को भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील मानते हुए इस जोन पांच में रखा गया हैं। यहां छोटे-छोटे भूकंप के झटके आते रहते है। तीन रिक्टर स्केल से ऊपर से झटके ही महसूस किए जाते हैं।

अनियोजित विकास है खतरनाक

उत्तराखंड में भूकंप की दृष्टि से जोन पांच में आने वाले जिलों में अनियोजित तरीके से विकास हो रहा है। पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बेहद ही खतरनाक है। अगर जनहित में जरुरी हो तभी इन पहाड़ों को छेड़ा जाए। नही तो नुकसान का आंकलन आप लगा भी नही सकते।

2019-20 में बड़े भूकंप के झटके

समय तीव्रता केंद्र

1 अक्टूबर               3.3 चमोली

17 अक्टूबर             3.3 उत्तरकाशी

12 नवंबर                4.5 पिथौरागढ़

24 नवंबर                3.4 चमोली

8 दिसंबर                3.2 चमोली

13 दिसंबर              4.4 पिथौरागढ़

24 दिसंबर              4.5 चमोली

8 फरवरी 2020       4.7 गोगिना, बागेश्वर

छोटे भूकंप बड़े भूकंपों की आशंकाओं को रोक देते हैं

रवि नेगी, भू वैज्ञानिक, नैनीताल ने बताया कि भूकंप की दृष्टि से पूरा क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। छोटे-छोटे भूकंप बड़े भूकंपों की आशंकाओं को रोक देता है। यह दबाव को कम कर देता है। जोन पांच में किसी प्रकार की अनियोजित गतिविधियों को रोका जाना चाहिए।


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