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काॅर्बेट नेशनल पार्क में कभी एवरेस्ट विजेता एडमंड हिलेरी की मोटरबोट से होती थी गश्त

विश्वप्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में कभी पहले एवरेस्ट विजेता सर एडमंड हिलेरी की कीवी मोटरबोट से गश्त होती थी। करीब दस साल तक इस बोट ने वन्यजीवों व जंगल की सुरक्षा का जिम्मा संभाला था। अब यह बोट अमूल्य धरोहर बनकर कॉर्बेट पार्क की शोभा बढ़ा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:43 PM (IST)
काॅर्बेट नेशनल पार्क में कभी एवरेस्ट विजेता एडमंड हिलेरी की मोटरबोट से होती थी गश्त
काॅर्बेट नेशनल पार्क में कभी एवरेस्ट विजेता एडमंड हिलेरी की मोटरबोट से होती थी गश्त!

रामनगर, त्रिलोक रावत : विश्वप्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) में कभी पहले एवरेस्ट विजेता सर एडमंड हिलेरी (Everest winner Edmund Hillary) की कीवी मोटरबोट से गश्त होती थी। करीब दस साल तक इस बोट ने वन्यजीवों व जंगल की सुरक्षा का जिम्मा संभाला था। अब यह बोट अमूल्य धरोहर बनकर कॉर्बेट पार्क की शोभा बढ़ा रही है। एवरेस्ट को फतह करने वाले सर एडमंड इसी बोट के जरिये गंगा की लहरों के विपरीत यात्रा की चुनौती को पूरा करने निकले थे, मगर नंदप्रयाग में उनका यह अभियान थम गया था।

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शेरपा तेनजिंग के साथ मई 1953 में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पहले व्यक्ति न्यूजीलैंड निवासी सर एडमंड हिलेरी ने 1977 में अपने साथियों संग तीन मोटरबोट से सागर से आकाश अभियान शुरू किया। अभियान के तहत हिलेरी ने बंगाल की खाड़ी गंगासागर से उत्तराखंड के बदरीनाथ तक मोटरबोट के जरिए धारा के विपरीत यात्रा की चुनौती को स्वीकार किया था।

कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के निदेशक राहुल बताते हैं कि लहरों को चीरते हुए हिलेरी इलाहाबाद, वारणसी, हरिद्वार से नंदप्रयाग पहुंचे थे। नंदप्रयाग से मोटरबोट आगे नहीं बढ़ पाई। गंगा के तेज प्रवाह के आगे एडमंड ने हार मान ली। उन्हें अपना अभियान यहीं रोकना पड़ा। अभियान की समाप्ति पर 1977 में हिलेरी ने अपनी तीनों बोट भारत सरकार को दे दी। भारत सरकार ने इनमें से एक मोटरबोट एक मई 1979 को कार्बेट नेशनल पार्क को दे दी।

कालागढ़ जलाशय की शान थी बोट

कार्बेट के पार्क वार्डन आरके तिवारी के मुताबिक तब यह अत्याधुनिक बोट कार्बेट की शान हुआ करती थी। इस बोट के जरिए कालागढ़ जलाशय के किनारे अवैध शिकार व वृक्षों का पातन रोकने के लिए 1990 तक गश्त की। इसके बाद इसे कार्बेट पार्क के धनगढ़ी गेट स्थित म्यूजियम में अमूल्य धरोहर के रूप में सहेज कर रख गया। यहां आने वाले पर्यटक इसका दीदार करते हैं।

तीन ईंंधन टैंकर चलते थे साथ

मोटर बोट में 400 हार्सपावर क्षमता का इंजन है। तब वर्मा सेल कंपनी ने अभियान के दौरान तीन बोट के लिए तीन ईधन टैंकर मुहैया कराए थे। ये टैंकर सड़क मार्ग से अभियान के साथ-साथ चलते थे। जहां भी बोट को तेल की जरूरत पड़ती वहां डाल दिया जाता था।

गंगा की लहरों पर भी फतह था हिलेरी का लक्ष्य

हिलेरी एवरेस्ट फतह करने के बाद गंगा की लहरों के विपरीत जल प्रवाह पर भी जीत हासिल करना चाहते थे। सागर से आकाश अभियान में उनके साथ 18 लोग शामिल थे। अभियान में कीवी मोटरबोट के अलावा गंगा व एयर इंडिया नाम की बोट भी थी। सरकार ने गंगा बोट पश्चिम बंगाल में सुंदरवन को तथा एयर इंडिया बोट सीमा सुरक्षा बल को दे दी थी।


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